केंद्रीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक दशक की लंबी अवधि के बाद और संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा की। मतदान तीन चरणों यानी 18 और 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा। इस केंद्र शासित प्रदेश में आखिरी चरण के साथ ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भी मतदान होगा| केंद्रीय चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि दोनों क्षेत्रों में वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी| जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया गया है और नई संरचना के कारण सात सीटें जोड़ी गई हैं।
जम्मू संभाग में छह और कश्मीर घाटी में एक सीट बढ़ाई गई है। अतः निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गयी है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में विधान सभा की 24 सीटें हैं और जम्मू-कश्मीर विधान सभा में सीटों की कुल संख्या 114 है।
तीन चरणों में मतदान विधानसभा चुनाव के तीन चरणों में क्रमश: 24, 26 और 40 सीटों पर मतदान होगा| 90 सीटों में से 74 सीटें खुली श्रेणी में हैं,जबकि सात सीटें अनुसूचित जाति और नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। जम्मू-कश्मीर में 87.09 लाख मतदाता हैं और 3.7 लाख पहली बार मतदान करेंगे। कमिश्नर राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अप्रवासी विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे|
जम्मू-कश्मीर का विशेषाधिकार और राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद मई 2024 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ। उन्होंने कहा, ”कश्मीर के लोगों ने बंदूक से ज्यादा वोट को महत्व दिया।” लोगों ने स्वत:स्फूर्त होकर मतदान किया, वोट देने के लिए कतारें लगीं। कश्मीरी लोगों का लोकतंत्र में विश्वास मजबूत हुआ| चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने उम्मीद जताई कि विधानसभा चुनाव में भी कश्मीरी लोग लोकतंत्र के उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे|
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था| तदनुसार, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया था और कानून व्यवस्था की स्थिति का निरीक्षण किया था। इसके बाद आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की| इसके बाद आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया| पिछले कुछ महीनों में आतंकी हमले मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र में हुए हैं।
इससे पहले 2014 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए थे| किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर एक आश्चर्यजनक निर्णय में, भाजपा ने मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई। लेकिन मई 2018 में भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया| इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया|
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