संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर बिना परीक्षा के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है। यह भर्ती 45 सीटों के लिए होनी थी। इस विज्ञापन की विरोधियों ने कड़ी आलोचना की थी|देशभर से केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना के बाद आखिरकार मंगलवार (20 अगस्त) को यूपीएससी ने घोषणा की कि वह केंद्र सरकार के आदेश के बाद विज्ञापन रद्द कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरपर्सन प्रीति सूदन को पत्र लिखकर कहा, ”सीमांत और वंचित समूहों को सरकारी सेवाओं में समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। ताकि संविधान में सामाजिक न्याय का सिद्धांत बरकरार रहे।” ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के सिद्धांत को आगे बढ़ाया है| उन्होंने सदैव समाज के वंचित वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाने का प्रयास किया। सीधी भर्ती का निर्णय सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित था।
यूपीएससी ने 17 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था,जिसमें कहा गया था कि हम बुद्धिमान और ऊर्जावान उम्मीदवारों से सीधी भर्ती के लिए आवेदन कर रहे हैं। केंद्र सरकार के मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव पदों के लिए विज्ञापन लाया गया था| हालांकि, विज्ञापन जारी होने के बाद विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों ने विरोध भी किया| इस फैसले का जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी ने विरोध किया था।
ये आरक्षण ख़त्म करने की मोदी की गारंटी है: ”मोदी सरकार केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में उच्च पदों पर बाहर के उम्मीदवारों को नियुक्त करके किसी तरह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी का अधिकार छीन रही है। इसमें सुधार करने के बजाय केंद्र सरकार अब खुले तौर पर बाहर से उम्मीदवारों को आयात कर उन्हें उच्च पदों पर नियुक्त कर रही है।
केंद्रीय लोक सेवा आयोग: इस राष्ट्र विरोधी नीति का इंडिया एलायंस द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा। इस फैसले से भारत की प्रशासनिक मशीनरी और सामाजिक न्याय के सिद्धांत को बड़ा झटका लगेगा| साथ ही लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आईएएस जैसे पदों का निजीकरण कर आरक्षण खत्म करने की मोदी की गारंटी की आलोचना की|
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