उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव को लेकर इन दिनों सपा मुखिया अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो का ध्यान आकर्षित के लिए कोई कोर कसर छोड़ते नहीं दिखाई दे रहे हैं|यही कारण है हाल, उनके द्वारा दिए गए बयान के बाद मायावती ने आभार प्रकट किया है, जबकि इस बात का भान बसपा मुखिया को अच्छी तरह से है|
प्रदेश में मायावती और सपा सुप्रीमो अखिलेश के रिश्तों में समर्थन, आभार और धन्यवाद का नया दौर देखने को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष की बसपा के कोर वोटरों पर नजर जमीं हुई है, तो बसपा सुप्रीमो भी पूरी घटनाक्रम को अच्छी तरह से जान रही हैं। वही, दूसरी ओर प्रदेश रणनीतिकारों का मानना है की बुआ और बबुआ के इस नए रिश्ते के पीछे यूपी के आगामी चुनाव में दोनों की ओर से वोट बैंक की गणित के रूप में देखा जा रहा हैं।
इसी क्रम कुछ दिन पहले एक भाजपा विधायक द्वारा मायावती को उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री तक बताया गया| प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें सीएम सबसे बड़ी भूल थी|इस बयान के आते ही अखिलेश यादव ने मायावती का बचाव करते हुए खुल कर सामने आये| इसके बाद मायावती ने सपा मुखिया का आभार भी प्रकट किया| फिर क्या था| यह सिलसिला यहीं नहीं रूका, अखिलेश यादव ने एकदम आगे बढ़ते हुए ‘एक्स’ पर मायावती के उस आभार के प्रति धन्यवाद दिया|
बसपा सुप्रीमों के उस आभार पर अखिलेश ने अपने ‘एक्स’ पर लिखा कि ‘आभार’ उन लोगों का है जो पिछले दो दिनों से अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर अपना सक्रिय विरोध दर्शा रहे हैं। बता दें कि इस विरोध का मूल कारण है, भाजपा के एक विधायक द्वारा शोषित-वंचित समाज की एक सम्मानित भूतपूर्व महिला मुख्यमंत्री का सरेआम किया गया अपमान। हालांकि, मायावती एक ओर अखिलेश यादव का आभार व्यक्त कर रहीं थीं, तो दूसरी ओर दलितों के कोटे में कोटे पर सपा प्रमुख की चुप्पी पर सवाल भी खड़ा कर रही थीं।
प्रदेश में बसपा का कोर वोटर पिछले लोकसभा और उससे पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से निराश है। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि ये वोटर उसकी ओर रुख कर सकता है। भले ही लोकसभा चुनाव में बसपा ने कोई सीट न जीती हो, पर यूपी में उसे 9 प्रतिशत से ज्यादा मत मिले थे।
सपा नेतृत्व अच्छी तरह से जानता है कि मायावती को सम्मान देने पर ही यह कोर वोट उन्हें मिल सकता है। बशर्ते बसपा से हमदर्दी रखने वाले मतदाताओं को यह महसूस हो कि उनकी पार्टी का उम्मीदवार जीतने की स्थिति में नहीं है। यही कारण है कि एक खास रणनीति के तहत अखिलेश यादव, मायावती के समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं। उपचुनाव में इसका एक छोटा प्रयोग भी देखने को मिलेगा।
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