उत्तर प्रदेश समेत देश के तीन राज्यों में लगातार बुलडोजर कार्रवाई की घटनाएं देखने को मिल रही हैं|इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है|बुलडोजर कार्रवाई को लेकर आज (2 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई| न्यायमूर्ति बी. आर। गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कई सवाल उठाए|आपराधिक कानून के तहत आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाना उचित कार्रवाई नहीं हो सकती| पिछले दो-तीन सालों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई बुलडोजर ऑपरेशन चलाए गए हैं| इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शब्दों में टिप्पणी की है|
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बुलडोजर ऑपरेशन की एक सूची सौंपी और इस ऑपरेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर आज सुनवाई हुई| जमीयत की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की गतिविधियों से देश के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है| याचिकाकर्ताओं ने सरकार से आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है| इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दाखिल की गई है|
याचिका में कहा गया है कि मई में मध्य प्रदेश में आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया था| घटना के कुछ ही घंटों के भीतर यह कार्रवाई की गई|कानूनी प्रक्रिया शुरू होने से पहले स्थानीय प्रशासन ने तुरंत आरोपी के पिता का घर तोड़ दिया|कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले,आरोपी पर दोष साबित होने से पहले इस तरह की कार्रवाई की जा रही है|
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई कार्यवाही का जिक्र किया| इसके बाद जस्टिस गवई ने सवाल उठाया कि क्या सरकार या प्रशासन सिर्फ इस आधार पर किसी व्यक्ति के घर पर बुलडोजर चला सकता है कि वह आरोपी है| यह कानून के खिलाफ है| हम इस संबंध में सख्त निर्देश जारी करेंगे| हम सभी राज्यों को भी नोटिस जारी करेंगे|
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