सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा 26 अगस्त को ढह गई। इस त्रासदी के बाद महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई थी| नासिक की घटना पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माफी मांगी है| राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की। कमेटी ने अपनी 16 पन्नों की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है| इसमें मूर्ति के ढहने के कई चौंकाने वाले कारणों की जानकारी दी गई है।
मूर्ति के ढहने के बाद, मामले की जांच के लिए पवन ढींगरा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की गई थी। इसमें लोक निर्माण विभाग (भवन) के सचिव संजय दशपुते, लोक निर्माण विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता विकास रामगुड़े| उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बताया कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी|
मूर्ति के ढहने के क्या कारण थे?: मूर्ति की संरचना इतनी मजबूत नहीं थी कि 33 फीट की मूर्ति का वजन सह सके। साथ ही, जांच समिति द्वारा प्रारंभिक निष्कर्ष निकाला गया है कि मूर्ति अनुचित वेल्डिंग और जंग के कारण ढह गई। यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रतिमा को खड़ा करने के बाद उसका रखरखाव ठीक से नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि रखरखाव और मरम्मत के अभाव में मूर्ति ढह गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के मौके पर इस प्रतिमा का अनावरण किया। लेकिन 26 अगस्त को मूर्ति गिरने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी| इसके बाद मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार जयदीप आप्टे और जिस ठेकेदार चेतन पाटिल को उक्त काम दिया गया था, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है| जयदीप आप्टे ने 28 फीट की वास्तविक मूर्ति पर काम किया था। जबकि चेतन पाटिल ने चौथरा और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण का काम किया था|
मूर्ति गिरने के बाद राज्य सरकार की ओर से दो समितियां बनाई गईं| ऊपर उल्लिखित एक तकनीकी समिति थी। साथ ही, छत्रपति शिवाजी महाराज की उनके कार्यों के अनुरूप एक भव्य और उत्कृष्ट प्रतिमा स्थापित करने के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया।अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण विभाग) मनीषा म्हैसकर के नेतृत्व में देश के सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट, सिविल इंजीनियर, विशेषज्ञ, नौसेना अधिकारियों की एक अलग समिति काम करेगी।
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