पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGC) में हमेशा की तरह कश्मीर का राग अलापते हुए क्रंदन किया। दरम्यान शहबाज शरीफ ने कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन और गाजा से करते हुए तरह तरह के आरोप लगाने की कोशिश की। हालांकि इसके बाद भारत की प्रतिनिधी भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान को उसकी हैसियत याद दिलाई थी लेकीन ‘कान सुनार को छेदने चाहिए’ ऐसी कहावत है, बस ऐसे ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उसी मंच पर खड़े होकर पाकिस्तान को चुनौती की स्वर में खड़े बोल सुना दिए है।
बता दें की पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर की तुलना फलस्तीन से करते हुए कहा था, “फिलिस्तीन के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी अपनी स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया है।”
एस जयशंकर ने कहा, अब दोनों देशों के बीच सुलझाया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) को भारत ने वापस कैसा लेना है, यही है। न्यूयॉर्क में 79वें UNGC को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “हमारे बीच सुलझाया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना और आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे लगाव को त्यागना है।”
Watch: While addressing the general debate at the 79th session of the UN General Assembly, EAM S. Jaishankar says, "We heard some bizarre assertions from it at this very forum yesterday. So let me make India's position perfectly clear. Pakistan's cross-border terrorism policy… pic.twitter.com/rpo39eRPfu
— IANS (@ians_india) September 28, 2024
बता दें की, विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत के विदेश सचिव रह चुके है, जिस कारण वो पाकिस्तान की विदेश पटल पर हरकतों से अच्छे से वाकिफ है। इसीलिए मौके पर पाकिस्तान के आतंकवाद की नीति को लेकर भारत का रूख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “मने कल इसी मंच से कुछ विचित्र बातें सुनीं। मैं भारत की स्थिति को स्पष्ट कर दूँ कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसे दंड से बचने की कोई उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। इसके विपरीत, कारवाई के निश्चित रूप से परिणाम होंगे।”
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पाकिस्तान को जवाब देते हुए विदेश मंत्री का लक्ष्य बस उनके कपडे फाड़ना था, जिसके चलते उन्होंने कहा, “कई देश अपने नियंत्रण से परे की परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है। उनके कृत्यों का असर दूसरों पर भी पड़ता है, खासकर पड़ोस पर।” “जब राजनीतिक लोगों में इस तरह की कट्टरता भरती है तो इसकी जीडीपी को सिर्फ कट्टरपंथ और आतंकवाद के निर्यात के रूप में मापा जा सकता है। आज हम देखते हैं कि दूसरों पर जो बुराइयाँ लाने की कोशिश की गई थी, वे उसके अपने समाज को निगल रही हैं। यह दुनिया को दोष नहीं दे सकते। यह केवल उनका कर्म है।”
#WATCH | New York | At the UNGA, EAM Dr S Jaishankar says, "Many countries get left behind due to circumstances beyond their control but some make conscious choices with disastrous consequences. A premier example is our neighbour Pakistan. Unfortunately, their misdeeds affect… pic.twitter.com/TUw4tYLrc7
— ANI (@ANI) September 28, 2024
बता दें की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बरगलाने के बाद भारत की UN प्रतिनिधी भाविका मंगलनंदन ने भी पाकिस्तान के कान में मानों पिघला लोहा डाल दिया था, “पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के परिणाम उसे निश्चित रूप से भुगतने होंगे। यह हास्यास्पद है कि एक राष्ट्र जिसने 1971 में नरसंहार किया और जो आज भी अपने अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार करता है, वह असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिम्मत करता है।”