31 C
Mumbai
Saturday, November 23, 2024
होमदेश दुनियावन नेशन वन इलेक्शन असंवैधनिक नहीं : डॉ. रामनाथ कोविंद!

वन नेशन वन इलेक्शन असंवैधनिक नहीं : डॉ. रामनाथ कोविंद!

लगातार देश के अलग अलग कोनों में होने वाले चुनावों के कारण लोगो ने मतदान केंद्रों की ओर पीठ घुमा ली है।

Google News Follow

Related

मोदीजी की ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की मांग को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में समिती स्थापित हो चुकी है। इसी साल के अधिवेशन में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विधेयक आना तय है। विरोधी मोदी सरकार के सभी फैसलों को असंवैधांनिक करार करने में लगे हुए है, ऐसे में विरोधियों इस वन नेशन वन इलेक्शन की पॉलिसी को बभी असंवैधानिक कहा था।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद ने इस योजना को पूरी तरह से संविधानिक बताया है। उन्होंने कहा है, “वन नेशन वन इलेक्शन असंवैधानिक नहीं, 1967 तक 4 लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हुए।” बता दें की, भारत में सभी राज्यों की विधानसभा और देश की लोकसभा के चुनावों को एकसाथ करवाना इस पॉलिसी का उद्देश्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे लेकर सकारात्मक दिखाई देते है।

30वीं लाल बहादुर शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला को शनिवार (5 अक्तूबर ) को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा, “गणतंत्र के शुरुआती दिनों में एक साथ चुनाव आदर्श थे। पहले चार चुनाव चक्रों में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। …समवर्ती चुनावों का यह चक्र 1968 में टूट गया जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 356 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए कई राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया..समाज के कुछ वर्गों ने एक साथ चुनाव को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया है। जब हम चुनाव चक्र में व्यवधान की उत्पत्ति को देखते हैं तो विडंबना को नज़रअंदाज़ करना कठिन होता है..एक साथ चुनाव कराना हमारे संवैधानिक पूर्वजों का दृष्टिकोण था।”

यह भी पढ़ें:

इजरायल का गाझा में मस्जिद और स्कूल पर हमला 24 की मौत!

अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है तो भारत में पांच साल में केवल एक बार चुनावी माहौल होगा, और अगले पांच साल तक देश अपनी प्रगति पथ पर चल पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है की, लगातार देश के अलग-अलग कोनों में होने वाले चुनावों से परेशान लोगो ने मतदान केंद्रों की ओर पीठ घुमा ली है। साथ ही चुनाव आयोग को हर चुनाव के बीच बड़ी संख्या में सुरक्षा और सेवा कर्मचारयों की तैनाती करनी पड़ती है, जिसमें बड़े खर्चे होतें है। इसी के साथ आचारसंहिंताओं से विकास प्रकल्प भी धरे रह जाते है। ऐसे में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ देश के लिए वरदान सिद्ध होगा।

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,296फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
193,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें