आज दशहरे के मौके पर मनोज जरांगे पाटिल ने बीड के नारायण किले में दशहरा सभा का आयोजन किया है| इस दशहरा सभा में मनोज जरांगे पाटिल ने अपने दिल की बात कही है| मैं पूरी तरह से घिर चुका हूं| मैं ख़त्म होने वाला हूँ| मैं किले से झूठ नहीं बोलूंगा| मैं कहना है। मेरी परेशानी मेरे समाज से सहन नहीं होती| मैं अपने समाज की पीड़ा सहन नहीं कर सकता| मैं अपना दर्द अपने चेहरे पर नहीं दिखता| मुझे कष्ट होता है तो समाज दिन-रात रोता है। मेरे समाज के लोगों को अपने द्वारा कलंकित न होने दो। मुझे अपना समुदाय खोने मत दो। मुझे यह वचन दो, जरांगे पाटिल ने कहा।
याद रखने वाली एक बात|अंततः हमारे पास कोई विकल्प नहीं है|आपको मुख्य भूमिका निभानी होगी|आचार संहिता के बाद आपको मुख्य भूमिका बताई जाएगी। उसने हमें धोखा दिया|अब हमारे पास एक ही विकल्प है|आचार संहिता लागू होनी चाहिए|
आचार संहिता के तहत इस मुद्दे को राज्य में लागू करना| यदि नहीं, तो वही करें जो आचार संहिता आपको करने के लिए कहे। क्या आप मुझे एक विचार करके बतायेंगे? क्योंकि मैं यहां से आपको जज नहीं कर सकता| मनोज जरांगे ने ये भी कहा है कि वो ये सब देखना चाहते हैं|
जरांगे ने क्या कहा?: मनोज जरांगे ने अप्रत्यक्ष रूप से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अहम बयान दिया है| उन्हें उखाड़ कर फेंक देना होगा| कोई छुट्टी नहीं यदि आपके साथ गलत व्यवहार हो रहा है तो आपको सामने वाले को उखाड़ फेंकना होगा, अन्यथा कोई छुट्टी नहीं है। जरांगे ने कहा कि हमें किसानों को न्याय दिलाने के लिए लड़ना होगा|
कोई सब्सिडी नहीं, कोई फसल बीमा नहीं, कोई मराठा आरक्षण नहीं, कोई धनगर आरक्षण नहीं, कैकाडी, महादेव कोली, लिंगायत को भोजन नहीं दिया जाता। मुसलमानों और दलितों को कुछ नहीं दिया जाता|हम सबके लिए लड़ रहे हैं| हम सबका न्याय करेंगे| कुछ लोग किसलिए भीड़ रहे हैं|हम जाति के लिए सोच रहे हैं|उसे क्या हुआ? इसे एक अच्छा संकेत समझें| अब मान लेते हैं कि यह दफन हो गया है…, जरांगे ने कहा।
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