नासिक में खैर तस्करी मामले के तार चिपलून तक पहुंचते ही नासिक के वन विभाग ने मंगलवार को तीन मिलों पर छापा मारा। इनमें से एक कंपनी से करीब 80 लाख का अवैध सामान जब्त किया गया है|इस छापेमारी में सावर्डे में एक स्पिनिंग मिल फैक्ट्री को सील कर दिया गया है और फैक्ट्री के मालिक को नोटिस जारी किया गया है|
नासिक वन विभाग यह पता लगाने के लिए जांच कर रहा है कि नासिक से किस फैक्ट्री में खैर की तस्करी की गई है। जिले की कुछ कताई फैक्टरियां उनके रडार पर हैं। नासिक के प्रभागीय वन अधिकारी विशाल माली ने जानकारी देते हुए बताया कि नासिक वन विभाग ने खैर तस्करी के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है|
इनमें से दो उत्तर प्रदेश से हैं और बाकी दो गुजरात से हैं। पता चला है कि ये चारों नासिक से खैर की तस्करी करते थे और चिपलून की कुछ खाट फैक्ट्रियों को बेचते थे| इसके बाद हम अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ऋषिकेश रंजन और मुख्य वन संरक्षक रामानुजन कोल्हापुर के मार्गदर्शन में चिपलून के बारे में जानकारी लेकर चिपलून आये। मानद वन्यजीव वार्डन रोहन भाटे ने स्थानीय स्तर पर सहायता की।
वन रेंज अधिकारी सुरेश गवारी, वन रेंज अधिकारी सविता पाटिल, वनपाल दुसाने, सूर्यवंशी, गायकवाड़ और अन्य वन अधिकारियों और कर्मचारियों की एक टीम ने सवार्दे-कुंभारवाड़ी में सिंडिकेट फूड्स फैक्ट्री पर छापा मारा। इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में अवैध नकदी मिली|
प्रथम दृष्टया यह पाए जाने पर कि चरखा नासिक के जंगल की खैर की लकड़ी से बनाया गया था, फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। इस कंपनी से कुल 80 लाख का माल जब्त किया गया है|, जिस फैक्ट्री में नासिक से लाई गई अवैध खैर का इस्तेमाल किया गया है| हमें ऐसी तीन कंपनियां मिली हैं| हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या नासिक से लाए गए खैर के स्टॉक का उपयोग जिले की किसी अन्य फैक्ट्रियों में किया गया है।
हम वरिष्ठों को सहयोग करने वाली कंपनियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।’ सहयोग न करने वालों को नोटिस भेजा गया है। हमने सावर्डे इलाके में दो फैक्ट्री मालिकों को नोटिस जारी किया है। अगर वे पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होंगे तो उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जायेगी|
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