लखनऊ। आक्सीजन को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं, लेकिन अब दवाइयों और दूसरे जरूरी चिकित्सकीय उपकरणों की कमी ने चिंता बढ़ा दी है। इसका असर कीमतों पर भी पड़ा है और दवाइयां महंगी हो गई हैं। बुखार और इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर मानी जाने वाली दवाएं पैरासिटामाल, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन डी थ्री दवाओं, पल्स ऑक्सीमीटर, वेपोराइजर और खांसी की सिरप की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उप्र के प्रयागराज में इन दवाइयों की मांग सौ से पांच सौ गुना बढ़ी है। राजधानी लखनऊ में विटामिन सी, जिंक टेबलेट की कमी आई है। दवा व्यवसायियों के अनुसार मांग के अनुरूप बहुत कम ही आपूर्ति हो रही है। दिल्ली की थोक दवा मंडी भागीरथ पैलेस में आक्सीमीटर और आक्सीजन कंसंट्रेटर नहीं मिल रहे हैं।
आक्सीमीटर से जहां शरीर में आक्सीजन का लेवल नापा जाता है, वहीं आक्सीजन सिलेंडर में लगाने के लिए आक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल होता है। सर्जिकल उपकरण निर्माता व बिक्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पुनीत भसीन के मुताबिक ये उपकरण चीन और जर्मनी से आयात किए जाते हैं। पहले इनकी मांग केवल अस्पतालों तक सीमित थी, लेकिन इन दिनों इन उपकरणों की मांग 80 से 100 गुना तक बढ़ गई है, जिसे पूरा करने में बाजार विफल साबित हो रहा है। कमी का असर कीमतों पर भी पड़ा है। सामान्य दिनों में जिस आक्सीजन कंसंट्रेटर का दाम 20 से 22 हजार रुपये था, अब वह 50 हजार रुपये में बिक रहा है। यहीं हाल आक्सीमीटर का भी है। पहले 700 से 1000 रुपये तक में उपलब्ध थे, अब उसके दाम दो से ढाई हजार रुपये हो गए हैं। सर्जिकल ग्लब्स की कीमत 100 रुपये से बढ़कर 500 रुपये हो गई है। एन-95 मास्क की कीमत 200 से 300 रुपये के बीच हो गई है।