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Monday, January 27, 2025
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दोस्त दोस्त ना रहा, पर क्यों ?

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दिल्ली के चुनावी मैदान में आप और कांग्रेस के बीच जबरदस्त मुकाबला चालू हुआ है। जहां एक ओर अभियान रैलियों में एक दूसरे पर आलोचना जारी है, वहीं अब चुनावी विवाद सोशल मीडिया पर भी फैला हुआ है, आम आदमी पार्टी ने पोस्ट में भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमला करने के लिए एक तस्वीर जारी की, जिसमें अरविंद केजरीवाल की तस्वीर ऊपर है, नीचे विरोधियों की तस्वीर है और लिखा है, “केजरीवाल की ईमानदारी सभी बेईमान लोगों पर भारी पड़ेगी।” अब इसमें निचे जो विरोधी है उनमें भाजपा के नेता की तस्वीरों तो है लेकीन, कांग्रेस के सबसे बड़े नेता या कहें कांग्रेस के देवता राहुल गांधी की तस्वीर भी हैं।लोकसभा में दोस्ती यारी दिखाने वाले राहुल पर केजरीवाल का गुस्सा इतना क्यों है?

दिल्ली असेंबली के चुनाव प्रचारों में यह बात बार-बार सामने आयी है कि लोकसभा चुनावों में संविधान बचाने के नाम पर एकसाथ चुनाव लड़ चुकी आप और कांग्रेस एक दूसरे पर मुक्केबाज़ी में कोई कसर नहीं छोड़ रही। दिल्ली में पहली चुनावी रैली में राहुल गांधी ने भाजपा से ज्यादा अरविंद केजरीवाल पर हमला किया। राहुल गांधी ने झूठे वादे करने के लिए अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाई थी। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने भी एक्स पर राहुल गांधी को जवाब देते जिए कहा था, “राहुल गांधी दिल्ली आए और मुझे खूब गालियां दीं। लेकिन, मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा, उनकी लड़ाई कांग्रेस को बचाने की है और मेरी लड़ाई देश को बचाने की है।’’

दोस्तों आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा खुलकर लड़ती आई है। केजरीवाल के नीतियों की निंदा करती आयी है। आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के द्वारा दिल्ली में दारू घोटाला का प्रचार भाजपा ने ही किया।  इतना ही नहीं अरविंद केजरीवाल को जेल पहुंचाने के पिछे कहीं न कहीं भाजपा का दिमाग रहा है। हम मान सकते है की अरविंद केजरीवाल के विरोधी आम आदमी पार्टी के लिए बेईमान होंगे ही। अगर आम आदमी पार्टी से ईमान रखते तो लीकर स्कैम पर कुछ न बोलते, इसीलिए आम आदमी पार्टी के लिए भाजपा बेईमान तो होगी ही।  

अब सवाल यही है दोस्तों की केजरीवाल राहुल गांधी से भाजपा जितने ही खफा क्यों है? पैंट की जेब में संविधान की कॉपी लेकर घूमने वाले राहुल गांधी को केजरीवाल ने ऐसा क्यों कहा की वो कांग्रेस बचाने के लिए लड़ रहें है, हम देश बचाने के लिए लड़ रहें है।

केजरीवाल खुलकर राहुल गांधी को गरियाते नहीं, लेकिन उन्हें बेईमानों की सूचि में डालते है, क्योकि ये लड़ाई पार्टी बचाने की ही है। केजरीवाल जो पार्टी बचाने की लड़ाई की बात कर रहें है वो सच है, लेकिन वो बात तो आम आदमी पार्टी की कर रहें है।

कांग्रेस लोकसभा चुनावों के बाद देश में मजबूत हुई है, पुराने कोंग्रेसी वोटर्स और कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। इसी कारण कांग्रेस का एक बड़ा वोटर बेस जो 2015-2020 को आम आदमी पार्टी के पास गया था, वो अब अपनी मूल आइडिओलॉजी की ओर वापस धीरे धीरे खिंचा जा रहा है। दूसरी बात ये भी है की चुनावों में ओवैसी की MIM पार्टी भी उतर चुकी है। मुस्लिम वोटबैंक में जो हक़ के वोट है उनमें बहुत बड़ा दावा करने वाली MIM भी दिल्ली में 11-12 सीटे लड़ रही है।

दिल्ली में कांग्रेस का अपने आप को सिकुलर मानने वाला और अब केजरीवाल को भ्रष्ट्राचारी मान चुका हिंदू वोटर वापस कांग्रेस के पास लौट रहा है। इसका प्रतिशत भले कम है, लेकीन ये आया आप से कांग्रेस की तरफ है।  वहीं कट्टर मुस्लिम वोटर MIM की तरफ जाएगा, इसका प्रतिशत काफी बड़ा है। अब बचता है वो मुस्लिम वोटर जो स्ट्रैटेजिक वोटिंग करेगा,जो जाएगा आम आदमी पार्टी की तरफ है लेकीन, प्रतिशत तो इसका भी कम है।

आम आदमी पार्टी की जब एक लहर थी, तब भी भाजपा दिल्ली में 7 सीटें जीतकर आई थी। लेकीन ऐसी 11 सीटें थी जहां भाजपा मात्र 5 से 10 हजार वोटों से हारी थी। भाजपा ने दिल्ली में रेवड़ी की लहर होने के बावजूद जो सीटें जीती है उस मटेरियल को लॉस होते नहीं दिख रहा। केजरीवाल ने पिछले वादे भी पुरे नहीं किए है, इसिलए एंटी इंकम्बैंसी झेलनी पड़ रही है, इसी एंटी इंकम्बैंसी को हराने के लिए उन्होंने नै रेवड़ियों की स्कीमें लाइ लेकिन, दिल्ली में जो वादे केजरीवाल ने किए, भाजपा ने उससे ज्यादा देने के वादे कर दिए है। केजरीवाल की रेवड़ी को बैलेंस करने के लिए रेवड़ी से ही टक्कर दी गई है। कुल-मिलाकर कहें तो भाजपा अब तक कुल 20 सीटे लगभग पा चुकी है, जो कांग्रेस और MIM के कारण आम आदमी पार्टी के 63 के खाते से कम होंगी। अभी तो केजरीवाल 40 सीटे जीतते दिख रहें है, लेकीन अगर कांग्रेस केजरीवाल को गरियाने में लगी रही तो, केजरीवाल का बहुमत से नीचे जाना तय है। भाजपा दिल्ली में बहुमत से जीते या ना जीते, पर आम आदमी पार्टी के बहुमत पर कांग्रेस का असर जरूर पड़ रहा है। 

इस त्रिकोणीय प्रतियोगिता में भाजपा का मटेरियल प्लस हो रहा है, लेकीन आप का कम हो रहा है। केजरीवाल आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो है,पार्टी फेस है, और देशभर में उनकी फेस वैल्यू से ही उनकी पार्टी को पहचाना भी जाता है। वहीं अगर केजरीवाल की फेस वैल्यू दिल्ली में गिरती है, तो देश के बाकी हिस्सों में भी आप को चोट लग सकती है। इसके परिणाम कल को पंजाब में भी दिखेंगे।  याद कीजिए पिछले गुजरात के चुनावों में भाजपा और मोदीजी ने किस तरह एड़ी चोटी का जोर लगाया था, ताकी प्रधानमंत्री मोदी की फेस वैल्यू बनी रहें। वैसे ही दिल्ली में भी केजरीवाल की ये लड़ाई पार्टी बचाने की ही जारी है, वहीं चाय में मक्खी की तरह राहुल गांधी उनकी जीत में गिरे हुए है। इस मक्खी को निकालने के लिए ही केजरीवाल आए शाए कोशिश करने लगे है, कितने सफल होंगे ये तो वक़्त ही बताएगा।

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