प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट से पहले बने द्वार के पास हुई भगदड़ के बाद स्थिति अनियंत्रित हो गई। कई श्रद्धालुओं की मौत और घायल होने से अफरातफरी मच गई। पुलिस, प्रशासन, आपदा प्रबंधन की टीम ने तत्परता दिखाते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू किया। करीब तीन घंटे की बाद स्थिति को काफी नियंत्रित कर लिया गया।
प्रशासन के अनुरोध पर अखाड़ा परिषद ने अमृत स्नान न करने का निर्णय किया है और कहा है कि वह मेला प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे। पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लगातार संगम तट पर न आने के लिए श्रद्धालुओं से अनुरोध किया जाता रहा है, जबकि संगम के अलावा दूसरे घाटों पर श्रद्धालु स्नान करते रहे।
बताया गया है कि संगम तट से कुछ दूर पहले बने द्वार पर उस समय हादसा हुआ जब आने-जाने वाले श्रद्धालु टकरा गए। स्नानार्थियों में आमना-सामना होने पर आगे निकलने के लिए धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसके बाद भगदड़ मच गई।
केंद्रीय चिकित्सालय के बाद मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तेजी से भगदड़ हुई और लोग जमीन पर गिर पड़े। इसके बाद लोग उन पर चढ़ते गए। मेला क्षेत्र में सक्रिय एडीजी जोन भानु भास्कर, महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद, आइजी रेंज प्रेम गौतम, कमिश्नर विजय विश्वास पंत, पुलिस कमिश्रर तरुण गाबा ने भगदड़ की खबर पाते ही पूरे तंत्र को एक्टिव कर दिया।
कुछ ही देर में वहां एंबुलेंस पहुंचने लगी और घायलों को अस्पताल लाया जाने लगा। मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। भोर तक सभी अधिकारी स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत रहे। एयर एंबुलेंस के जरिए भी घायलों को अस्पताल पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली गई।
घटना के बाद महाकुंभ में क्राउड डायवर्जन प्लान लागू कर दिया गया है। शहर के बाहर ही श्रद्धालुओं के जत्थों को रोका गया। 10 से ज्यादा जिलाधिकारियों को क्राउड मैनेजमेंट जिम्मेदारी दी गई है। भीड़ को काबू में करने के लिए प्रयागराज के बॉर्डर के इलाकों में अधिकारियों को सक्रिय किया गया है।
यह भी पढ़ें-
इसरो ने श्रीहरिकोटा से पूरा किया मिशन का शतक, GSLV-F15 का सफल प्रक्षेपण!