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Tuesday, February 4, 2025
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Mahakumbh:​ ​संगम के चारों ओर ​अविरल बहती भक्ति और अध्यात्म ​का​ अद्भुत ​नजारा!

वसंत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान के दौरान संगम तीरे सनातन धर्म का विराट स्वरूप नजर आया।

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प्रयागराज महाकुंभ के संगम में वसंत पंचमी पर अमृत स्नान का अद्भुत नजारा देखने को मिला| बता दें कि अखाड़ों के कोतवालों से इशारा मिलते ही नागा संन्यासियों ने हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए संगम की ओर दौड़ लगा दी। स्वामी अवधेशानंद ने षोडशोपचार पूजन किया। स्नान के पश्चात नागा संन्यासियों ने शरीर पर भस्म रमाई। पूरे रास्ते फूलों की बारिश होती रही। उधर, सुबह करीब नौ बजे तक सभी शैव अखाड़े छावनी में लौट गए। छावनी में लौटने के साथ ही संन्यासियों ने वापसी की तैयारी शुरू कर दी।
तीसरे क्रम में जूना अखाड़े के साथ आवाहन और अग्नि अखाड़ा के संन्यासी स्नान के लिए निकले। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि की अगुवाई में हर-हर महादेव के जयकारे लगाते हुए भारी संख्या में नागा जुलूस में शामिल हुए। पूरे शरीर पर भस्म रमाए नागा संन्यासी अलग कौतूहल पैदा कर रहे थे। पूरे अखाड़ा मार्ग पर करतब दिखाते नागा संन्यासी संगम तक पहुंचे।

वसंत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान के दौरान संगम तीरे सनातन धर्म का विराट स्वरूप नजर आया। सनातन परंपरा के सभी 13 अखाड़ों ने राजसी ठाठ-बाट के साथ अमृत स्नान किया। संगम नगरी महादेव और सियाराम के जयकारों से गूंजती रही। चारों ओर श्रद्धालुओं की अपार भीड़,दूर-दूर तक संत-महात्मा ​ही दिखाई दे रहे थे। पैदल आ रहे लोगों की भीड़ धीरे-धीरे प्रशासन की व्यवस्था पर आगे बढ़ रही थी। संगम के एक किनारे पर अखाड़ों की भव्य रथ यात्रा और आस्था की अद्भुत लहरें मानो इस पवित्र स्थल को ​भव्यता और दिव्यता प्रदान​ कर रही थी|

भोर की किरण के पहले ही श्रद्धालु त्रिवेणी संगम की ओर उमड़ पड़े। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने के लिए भक्तों में उत्साह देखते ही बन रहा था।​ इस बीच अखाड़ों का दृश्य भी देखने योग्य था। नागा संन्यासियों का भव्य जुलूस, गेरुआ वस्त्रधारी संतों की टोली, माथे पर भस्म लगाए साधु-संत अपने-अपने ध्वज थामे शोभायात्रा निकाल रहे थे। कोई ध्यान में मग्न था तो कोई अपने चमत्कारी योगबल का प्रदर्शन कर रहा था।

श्रद्धालु दूर-दूर से आकर इन संतों का आशीर्वाद ले रहे थे। कुछ लोग दौड़कर चरणरज माथे पर लगा रहे थे। केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने श्रद्धालुओं के लिए आने-जाने के लिए व्यवस्था संभाल रखी थी।

वसंत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान के दौरान संगम तीरे सनातन धर्म का विराट स्वरूप नजर आया। सनातन परंपरा के सभी 13 अखाड़ों ने राजसी ठाठ-बाट के साथ अमृत स्नान किया। संगम नगरी महादेव और सियाराम के जयकारों से गूंजती रही। हजारों की संख्या में नागा संन्यासी त्रिशूल, गदा और तलवार लहराते हुए स्नान के लिए पहुंचे। आखिरी अमृत स्नान के साथ अखाड़ों का प्रयाग प्रवास सोमवार को पूर्ण हो गया।

शैव अखाड़े के संन्यासी अगले चरण में काशी प्रवास के लिए यहां से रवाना होने लगे हैं। वहीं, अनि और उदासीन अखाड़े के संत अन्य धार्मिक संस्कार पूर्ण करके अपने-अपने स्थान को लौटेंगे। अमृत स्नान के लिए सबसे पहले तड़के करीब चार बजे छावनी से श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा निकले। विधि-विधान से छावनी में ईष्ट देव की पूजा-अर्चना की गई।

श्री निरंजनी अखाड़ा व आनंद अखाड़ा भी पुलिस की सुरक्षा के बीच तय समय पर छावनी से निकले। अखाड़े की अगुवाई निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और आनंद पीठाधीश्वर बालकानंद गिरि ने की। अखाड़े के साथ अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री महंत रवींद्र पुरी, सचिव महंत रामरतन गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी, महामंडलेश्वर निरंजन ज्योति, श्री महंत शंकरानंद सरस्वती समेत सौ से अधिक महामंडलेश्वरों और श्री महंतों ने हजारों शिष्यों के साथ स्नान किया।

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