दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल बाद भाजपा को बड़ी जीत मिली है|आम आदमी पार्टी से सत्ता छीनने के बाद भाजपा ने कई राज्यों में जश्न मनाया| पश्चिम बंगाल भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी दिल्ली में जीत पर खुशी जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी दी है| दिल्ली नतीजे के बाद मीडिया से बात करते हुए अधिकारी ने कहा, ”दिल्ली की जीत हमारी, 2026 में बंगाल की बारी” यह बताने के लिए कि दिल्ली जीतने के बाद अब हम बंगाल में भी जीत हासिल करेंगे|
बंगाल के एक और भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि अगले चुनाव में बंगाल की जनता भी दिल्ली की तरह वोट करेगी| अधिकारी और मजूमदार दोनों ने दिल्ली में जीत में योगदान देने वाले बंगाली मतदाताओं को धन्यवाद दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था|
2020 में हुए चुनाव में बीजेपी सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी| इससे पहले 2015 में उन्हें सिर्फ तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा था| इस बार भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 48 सीटें जीती हैं| तीन बार से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को सिर्फ 22 सीटों से संतोष करना पड़ा है|
भाजपा का बंगाल पर फोकस: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में हो रहे हैं। दिल्ली की तरह यहां भी भाजपा को सफलता नहीं मिली है| पिछले एक दशक से यहां ममता बनर्जी सत्ता में हैं| भाजपा नेताओं की ओर से ममता बनर्जी को दी गई चेतावनी चुनाव को ध्यान में रखकर दी गई है| पिछले कुछ चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पश्चिम बंगाल में भारी प्रचार करने के बावजूद, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के अधिक सांसद चुने गए। 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की|
पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कई बार तीखी तकरार देखने को मिली है| चुनाव से पहले और नतीजों के बाद दोनों पार्टियां आपस में भिड़ चुकी हैं और कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं| जिसमें कई लोग मारे गए हैं| मैसेज के तहत पिछले साल के यौन उत्पीड़न मामले में आर.जी. कर हॉस्पिटल में डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में भाजपा तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाती नजर आ रही है|
इंडिया अलायंस का नेतृत्व करने के लिए समर्थन पाने के लिए ममता बनर्जी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था। उम्मीद थी कि इस समर्थन से उन्हें 2026 के विधानसभा और उसके बाद 2029 के लोकसभा चुनावों में फायदा होगा। लेकिन दिल्ली में केजरीवाल की हार से अब राजनीतिक समीकरण बदलने की आशंका जताई जा रही है|
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