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कर्नाटक: भाजपा ने सैम पित्रोदा सहित पांच पर करोड़ों की जमीन मामले में ED में दर्ज की शिकायत!

सैम पित्रोदा के खिलाफ कर्नाटक वन विभाग की 150 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने के आरोप में ED और लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया|

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भारतीय जनता पार्टी की ओर से ओवरसीज कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सैम पित्रोदा पर कर्नाटक वन विभाग की सरकारी जमीन को अवैध तरीके से हड़पने और पांच अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया है| विवादित जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक बतायी जा रही है| कर्नाटक के भाजपा दक्षिण जिला अध्यक्ष एनआर रमेश ने यह शिकायत दर्ज कराई है|

बता दें कि सैम पित्रोदा ने 23 अक्टूबर, 1991 को मुंबई में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के साथ फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (FRLHT) नामक एक संगठन पंजीकृत किया था| 2010 में उनके अनुरोध पर इस संगठन का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था| 5 सितंबर 2008 को इसी नाम से FRLHT ट्रस्ट बयातारायणपुरा, बेंगलुरु में उप-पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत करायी गयी थी|

1996 में सैम पित्रोदा ने कर्नाटक वन विभाग को औषधीय पौधों की खेती और अनुसंधान के लिए एक आरक्षित वन क्षेत्र को पट्टे पर देने का अनुरोध करते हुए आवेदन किया था. उनके अनुरोध के बाद, कर्नाटक वन विभाग ने बेंगलुरु के येलहंका के पास जराकबांडे कवल के ब्लॉक ‘बी’ में पांच हेक्टेयर (12.35 एकड़) आरक्षित वन भूमि को पांच साल के लिए FRLHT, मुंबई को पट्टे पर दे दिया| इस पट्टे को भारत सरकार के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था|

2001 में लीज की अवधि पूरी होने पर कर्नाटक वन विभाग ने लीज़ को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया| 2001 के आदेश के अनुसार, FRLHT के लिए लीज़ समझौता आधिकारिक तौर पर 2 दिसंबर, 2011 को समाप्त हो गया| तब से कर्नाटक वन विभाग ने न तो लीज को बढ़ाया है और न ही जमीन का कब्ज़ा वापस लिया है|

गौरतलब है कि लीज समझौते की समाप्ति के बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सूचित न करके गंभीर अपराध करने का आरोप लगा है| उन्होंने इस मामले की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है| जिन अधिकारियों पर आरोप लगाये गये उनमें कर्नाटक वन और पर्यावरण विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव जावेद अख्तर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह और संजय मोहन, बेंगलुरु शहरी संभाग के उप वन संरक्षक एन रवींद्र कुमार और एसएस रविशंकर शामिल हैं|

शिकायत के अनुसार, 2011 में लीज समाप्त होने के बावजूद FRLHT ने भूमि पर कब्जा बनाये रखा| औषधीय पौधों की बिक्री से हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व अर्जित किया है| शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कर्नाटक वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी राजनीतिक प्रभाव और रिश्वत के बल पर 14 साल से अधिक समय से सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करने में विफल रहे हैं|

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