बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ‘मोदी स्टोरी’ नामक अकाउंट ने बुधवार को एक पोस्ट साझा किया है। इसमें कहा गया है कि आज (12 मार्च) के दिन ही गांधी जी अपने 78 साथी सत्याग्रहियों के साथ 386 किलोमीटर की यात्रा शुरू की थी, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक और आंदोलन को जन्म दिया।
इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक यह यात्रा किताबों के पन्नों तक सीमित रही। दांडी यात्रा की 80वीं सालगिरह पर 12 मार्च 2010 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक घटना को चिरस्थायी सम्मान देने के लिए ‘दांडी हेरिटेज रूट प्रोजेक्ट’ शुरू किया।
इस परियोजना के तहत उस मार्ग की पहचान की गई, जहां से महात्मा गांधी की यात्रा गुजरी थी। इसमें उन 22 स्थानों पर रात्रि विश्राम की सुविधा भी शुरू की गई, जहां दांडी यात्रा के दौरान गांधी जी अपने सत्याग्रहियों के साथ रुके थे। इन स्थानों पर स्वागत द्वार, स्मारक स्तंभ और महात्मा गांधी के संदेशों वाले लेख भी लगाए गए हैं।
आंदोलन की भावना को संरक्षित करने के लिए दो बड़े लैंडमार्क बनाए गए हैं, जिनका उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने के बाद किया था। इनमें एक है अहमदाबाद के महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में 2015 में स्थापित दांडी कुटीर। दूसरा लैंडमार्क दांडी में बनाया गया है, जिसकी शुरुआत 2019 में की गई थी। यहां महात्मा गांधी और उनके साथ आए सत्याग्रहियों की 80 प्रतिमाएं हैं। साथ ही दांडी यात्रा के दृश्य भी यहां देखने को मिलते हैं।
उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा था। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है। जहां-जहां से उनकी यह यात्रा गुजरी, लोग जुड़ते गए और एक जनांदोलन खड़ा हो गया।