अमेरिकी युद्धक विमानों ने यमन की राजधानी सना और उत्तरी प्रांत सादा में कई हूती ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनमें कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 9 अन्य घायल हो गए। हूती-नियंत्रित अल-मसीरा टीवी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि मरने वालों की संख्या अभी प्रारंभिक है और इसमें वृद्धि हो सकती है। चैनल के अनुसार, अमेरिकी सेना ने सना के अल-जर्राफ और शोआब आवासीय क्षेत्रों में कई हवाई हमले किए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हूती संगठन के गढ़ सादा में भी अमेरिकी सेना ने हमला किया, जहां प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अल-जर्राफ इलाके में एक गोला-बारूद और रॉकेट डिपो को टारगेट किया गया, जिसके बाद इलाके में कई विस्फोट हुए और सफेद धुएं का गुबार उठता देखा गया।
हूती अधिकारी ओसामा सारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि इन हमलों में एयरपोर्ट रोड के पास स्थित “स्पेशलाइज्ड मॉडर्न यूनिवर्सिटी” को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं, एक अन्य हूती सूत्र ने सिन्हुआ को जानकारी दी कि अमेरिकी हमलों में संगठन के कुछ प्रमुख नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया गया।
यह अमेरिका द्वारा हूती ठिकानों पर किया गया पहला हमला है, जब से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी में पदभार संभाला और हूती संगठन को फिर से “विदेशी आतंकवादी संगठन” घोषित किया।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमने आतंकवादियों के ठिकानों, उनके नेताओं और मिसाइल सुरक्षा पर सटीक हवाई हमले किए हैं। यह अमेरिकी जलमार्ग, वायु और नौसेना संपत्तियों की सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता बहाल करने के लिए किया गया है।”
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हूती संगठन ने अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा करते हुए जवाबी कारवाई की चेतावनी दी है। उनके राजनीतिक कार्यालय ने अल-मसीरा टीवी पर जारी बयान में कहा, “अमेरिका के इस आक्रामक कदम का जवाब जरूर दिया जाएगा। यह हमला यमन की संप्रभुता पर खुला आक्रमण है।”यमन में हूती विद्रोहियों और अमेरिका के बीच यह नया सैन्य टकराव क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि ईरान समर्थित हूती समूह पर इस हमले के बाद यमन में मानवीय संकट और गहरा सकता है।