मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में एक और गिरफ्तारी की है। पुलिस ने सोमवार (17 मार्च) की शाम जावेद आज़म नाम को हिरासत में लिया, जिसका नाम पहले से गिरफ्तार आरोपी उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई से पूछताछ के दौरान सामने आया था। इस घोटाले में पहले ही कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जबकि पुलिस की जांच में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं।
जांच एजेंसियों के अनुसार, अरुणाचलम ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि उसे 2021 में आरोपी हितेश मेहता से 32 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से उसने 15-20 करोड़ रुपये जावेद आज़म के पास सुरक्षित रखने के लिए दिए थे। यह पैसे उन फंड्स का हिस्सा थे, जो बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में दर्ज थे, लेकिन इन्हें बैंक की तिजोरी में जमा करने के बजाय हेराफेरी कर निजी इस्तेमाल के लिए डायवर्ट कर दिया गया। आधिकारिक रिकॉर्ड में दिखाया गया कि यह रकम बैंक में सुरक्षित है, जबकि वास्तव में इसे आरोपीयों ने निकालकर अपनी जेबें भर लीं।
ईओडब्ल्यू अब जावेद आज़म के वित्तीय लेन-देन और संभावित राजनीतिक संबंधों की जांच कर रहा है। संदेह है कि उसने इस घोटाले से प्राप्त पैसे का इस्तेमाल बिहार में अपने व्यापार में किया। इस बीच, घोटाले के मुख्य आरोपी, बैंक के पूर्व अध्यक्ष हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु, देश छोड़कर भाग चुके हैं।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, हिरेन भानु 26 जनवरी को भारत से फरार हुआ है, जबकि उनकी पत्नी 10 फरवरी को थाईलैंड चली गईं। हिरेन भानु ने कथित तौर पर भारतीय नागरिकता छोड़कर ब्रिटिश नागरिकता ले ली है, जिससे उनकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया और जटिल हो सकती है। मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है और जल्द ही उन्हें भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
इस घोटाले में अब तक छह लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोअन, पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता, बिल्डर धर्मेश पौन और मनोहर अरुणाचलम शामिल हैं। पुलिस ने हिरेन और गौरी भानु के मुंबई स्थित आवास की तलाशी भी ली है, ताकि उनके वित्तीय लेन-देन और संपत्तियों का पता लगाया जा सके।
मामला तब सामने आया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की नकदी तिजोरी का निरीक्षण किया और इसमें भारी अनियमितताएं पाईं। इसके बाद दादर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई। पुलिस को संदेह है कि बैंक के धन का दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई।
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पुलिस इस मामले में घोटाले से जुड़े कई और लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है, जिस कारण और भी गिरफ्तारियां हो सकती है।