ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में सोमवार को जंतर-मंतर पर वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के एक विवादास्पद बयान देते हुए राजनीतिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है। मदनी ने कहा है, “हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और मैं कुर्बानी देने के लिए तैयार हूं।” मदनी के बयान पर भाजपा सांसद बृजलाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे भड़काऊ करार देते हुए कहा कि “वक्फ बोर्ड पर पहले ऊपरी तबके के मुसलमानों का कब्जा था, जिससे गरीब मुसलमानों को कोई फायदा नहीं मिलता था।”
मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा नेता बृजलाल ने कहा, “मैं मौलाना महमूद मदनी के बयान से इत्तेफाक नहीं रखता। धमकियों से कुछ हासिल नहीं होगा और तुष्टिकरण की राजनीति अब नहीं चलेगी। वक्फ संशोधन बिल गरीब मुसलमानों के हक में है। इससे न किसी की मस्जिद छीनी जाएगी और न ही किसी का कब्रिस्तान।” उन्होंने कहा कि “अब किसी की निजी जमीन को मनमर्जी से वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। पहले इसी कानून का दुरुपयोग करके कई लोगों की जमीनें जबरन हड़प ली जाती थीं।”
मौलाना मदनी ने अपने भाषण में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए थे, जिस पर भाजपा सांसद ने जवाब दिया कि “सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को पहले नोटिस दिया जाता है। अगर वे जमीन खाली नहीं करते, तब जाकर प्रशासन बुलडोजर की कार्रवाई करता है।”
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वक्फ संशोधन बिल को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों को लेकर मुस्लिम समुदाय के अधिकार सीमित हो जाएंगे। जबकि वास्तविकता तौर पर इस कानून का उद्देश्य पारदर्शिता लाना और जबरन जमीनों के कब्जे को रोकना है। विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार से इस बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की है। वहीं, भाजपा इसे मुसलमानों के हित में लिया गया फैसला बता रही है। इस मुद्दे पर आगे सियासी संग्राम और तेज होने की संभावना है।