भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाओं में जबरदस्त सुधार किया है और ट्रेनों का परिचालन प्री-कोविड स्तर से भी आगे बढ़ चुका है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे ने नई तकनीकों को अपनाते हुए 90% से अधिक ऑन-टाइम परफॉर्मेंस हासिल की है, जिससे यात्री और माल ढुलाई सेवाएं अधिक कुशल हो गई हैं।
रेलवे ने एडवांस्ड सिग्नलिंग सिस्टम, रियल-टाइम मॉनिटरिंग, एआई-ड्रिवन शेड्यूलिंग और प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस जैसी तकनीकों को अपनाया है, जिससे ट्रेनें समय पर चल रही हैं। देश के 68 रेलवे डिवीजनों में से 49 डिवीजनों ने 80% से अधिक समय पालन (पंक्चुअलिटी रेट) हासिल किया है, जबकि 12 डिवीजनों ने 95% तक पहुंच बनाई है।
वर्तमान में भारतीय रेलवे 13,000 से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन कर रहा है, जिसमें 4,111 मेल/एक्सप्रेस, 3,313 पैसेंजर ट्रेनें और 5,774 उपनगरीय ट्रेनें (सबअर्बन रेलगाड़ियां) शामिल हैं।
रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास पर भी जोर दिया गया है। 129 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण पूरा हो चुका है, जबकि कई अन्य 2025-26 तक तैयार हो जाएंगे। कोलकाता मेट्रो का उल्लेखनीय विस्तार हुआ है – पिछले 42 वर्षों में केवल 28 किमी लाइनें बनीं, जबकि पिछले 10 वर्षों में 38 किमी नई लाइनें जोड़ी गई हैं। मंत्री वैष्णव ने कहा कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत को हाई-स्पीड रेलवे नेटवर्क की ओर ले जाने वाला अहम कदम है, जिससे यातायात तेज और सुविधाजनक होगा।
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भारतीय रेलवे 2025 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन (स्कोप 1) प्राप्त करने के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। 97% रेलवे पहले ही इलेक्ट्रिफाइड हो चुका है और शेष 3% जल्द ही पूरा हो जाएगा। 2024-25 के लिए अनुमानित कार्बन उत्सर्जन 20 लाख टन रहेगा, जबकि उपलब्ध ऑफसेट 22 लाख टन होगा, जिससे रेलवे समय से पहले अपने नेट जीरो लक्ष्य को हासिल कर सकता है। रेलवे में हो रहे ये सुधार विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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