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Thursday, April 10, 2025
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किरेन रिजिजू ने वक़्फ़ बोर्ड हमला, कहा-‘संसद की बिल्डिंग को भी किया गया था क्लेम’

वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद में पेश...

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लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किए जाने के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को पेश करते हुए दावा किया कि इस पर ऐतिहासिक स्तर पर चर्चा और सुझाव प्राप्त हुए हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे जल्दबाजी में लाया गया कानून बताते हुए विरोध जताया।

‘इतिहास में पहली बार इतनी याचिकाएं आईं’

लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक सबसे अधिक विचार-विमर्श से गुजरा है। उन्होंने बताया,”इस विधेयक पर 97 लाख से अधिक याचिकाएं आई हैं, 284 प्रतिनिधिमंडलों ने अपने सुझाव रखे हैं और सरकार ने उन पर गंभीरता से विचार किया है। इतिहास में पहले कभी किसी विधेयक को इतनी अधिक संख्या में याचिकाएं नहीं मिली हैं।”

उन्होंने कहा कि विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर रहा है, लेकिन समय के साथ उन नेताओं की सोच में बदलाव आएगा। उन्होंने एक शेर पढ़ते हुए कहा,”मैं मन की बात कहना चाहता हूं, किसी की बात को कोई बदगुमां न समझे कि जमीं का दर्द कभी आसमां न समझे।”

‘2013 के कानून ने वक्फ बोर्ड को निरंकुश अधिकार दिए’

रिजिजू ने 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए वक्फ कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस कानून ने वक्फ बोर्ड को इतने अधिकार दे दिए कि उनके आदेशों को सिविल अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि इस कानून को संशोधित नहीं किया जाता, तो संसद भवन और हवाई अड्डों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों को भी वक्फ संपत्ति घोषित करने का रास्ता खुल सकता था।

उन्होंने कहा,”2013 में जब यूपीए सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन किया, तब दिल्ली वक्फ बोर्ड ने संसद भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स और कई अन्य इमारतों पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था। यूपीए सरकार ने इस मामले को अदालत में चुनौती देने के बजाय वक्फ बोर्ड को जमीन डीनोटिफाई करके सौंप दी थी। अगर आज हम यह संशोधन नहीं लाते, तो जिस संसद भवन में हम बैठे हैं, उस पर भी दावा किया जा सकता था।”

‘वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता जरूरी’:

रिजिजू ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 1923 में मुस्लिम वक्फ एक्ट लाया गया था, और तब से लेकर 1995 तक इस कानून में कई बदलाव हुए।

उन्होंने कहा,”1995 में पहली बार वक्फ ट्रिब्यूनल का प्रावधान किया गया था, जिससे कोई भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड के फैसले को चुनौती दे सकता था। उसी समय यह भी तय किया गया था कि यदि किसी वक्फ संपत्ति की सालाना आय 5 लाख रुपये से अधिक होती है, तो सरकार उस पर निगरानी के लिए एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करेगी।”

विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध, कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप:

विधेयक के लोकसभा में पेश होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध किया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा,”जेपीसी ने विधेयक पर आवश्यक विचार-विमर्श नहीं किया। यह कानून असंवैधानिक, अल्पसंख्यक विरोधी और राष्ट्रीय सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला है।”

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने विधेयक की प्रति विपक्ष को देर से दी, जिससे उन्हें समीक्षा करने का समय नहीं मिला। कांग्रेस के सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अधिक समय देने की मांग की और कहा कि सरकार विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहती है।

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर अभी और गर्मागर्म बहस होने की संभावना है। सरकार इसे संविधान-सम्मत और पारदर्शिता बढ़ाने वाला कानून बता रही है, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ कदम करार दे रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को किस तरह आगे बढ़ाती है और विपक्ष इसे रोकने के लिए क्या रणनीति अपनाता है।

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