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‘दीदी जेल जाएगी’ SSC भर्ती घोटाले में संबित पात्रा का ममता सरकार पर हमला!

संबित पात्रा ने इस मुद्दे पर विपक्षी INDIA गठबंधन को भी घेरा और कहा कि "राहुल गांधी और गठबंधन के तमाम नेता ममता बनर्जी के भ्रष्टाचार पर चुप क्यों हैं? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका संघर्ष केवल भाषणों तक सीमित है?"

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पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग (SSC) भर्ती घोटाले में कोलकाता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें हजारों अवैध नियुक्तियों को रद्द किया गया था। शीर्ष अदालत ने तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया है।

इस फैसले के बाद सियासत गरमा गई है। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला और उन्हें “तानाशाह” करार दिया। पात्रा ने आरोप लगाया कि ममता सरकार न सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त है, बल्कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी खुलेआम मानने से इनकार कर रही हैं, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह इसे “मानवीय आधार” पर स्वीकार नहीं करेंगी, और उन्होंने न्यायालय के आदेश पर असहमति जताई। इसी बयान को लेकर पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “क्या कोई मुख्यमंत्री यह कह सकता है कि वह भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश को नहीं मानेगा? यह सीधा-सीधा तानाशाही रवैया है। यह ममता की हिटलरशाही का प्रतीक है।”

संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि ममता सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और SSC घोटाला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। पात्रा ने कहा, “बंगाल में नियुक्तियों को लेकर जो खेल हुआ है, उससे लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो गया। ममता बनर्जी की बाघिन वाली छवि अब भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़ी हुई है।”

भाजपा नेता ने विपक्षी इंडिया गठबंधन और राहुल गांधी की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “जब एक मुख्यमंत्री कोर्ट का अपमान करे और भ्रष्टाचार की जमीन पर खड़ी हो, तब विपक्ष की चुप्पी यह दर्शाती है कि यह गठबंधन सिर्फ सत्ता का गठजोड़ है, सिद्धांतों का नहीं।”

पश्चिम बंगाल में स्कूली शिक्षकों की भर्ती में भारी अनियमितताओं का आरोप है। हज़ारों नियुक्तियाँ नियमों को ताक पर रखकर की गईं, जिसमें कई अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी गई। कोलकाता हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को गैरकानूनी करार देते हुए रद्द कर दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है।

CBI और ED इस मामले की जांच कर रहे हैं और कई अधिकारी व नेताओं की संलिप्तता सामने आ चुकी है। अब अदालत के निर्देश के अनुसार, राज्य सरकार को तीन महीनों में पारदर्शी तरीके से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

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