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Wednesday, December 24, 2025
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“जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि, पीढ़ियां याद रखेंगी उनका बलिदान”: पीएम मोदी

निहत्थे, मासूम और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाकर इतिहास का एक क्रूरतम अध्याय रचा था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैसाखी के पावन पर्व पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ और देश के इतिहास का “काला अध्याय” बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दो पोस्ट किए। पहली पोस्ट में उन्होंने बैसाखी की शुभकामनाएं दीं और दूसरी पोस्ट में जलियांवाला बाग की हृदयविदारक घटना को याद किया। उन्होंने लिखा—”हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। आने वाली पीढ़ियां उनके अदम्य साहस को हमेशा याद रखेंगी। यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।”

प्रधानमंत्री मोदी से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस घटना को याद करते हुए कहा—”जलियांवाला बाग का नरसंहार भारत के स्वतंत्रता संग्राम का काला अध्याय है। यह अंग्रेजी हुकूमत की अमानवीयता की पराकाष्ठा थी।”

विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को नमन करते हुए कहा—”जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हम सिर झुकाकर नमन करते हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उन निःशस्त्र स्वाधीनता सेनानियों की देशभक्ति, उनके साहस, समर्पण, त्याग और निःस्वार्थ बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। आज़ादी की लड़ाई में उनकी शहादत का अमिट योगदान अविस्मरणीय रहेगा।”

गौरतलब है कि 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में अंग्रेज अफसर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने निहत्थे, मासूम और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाकर इतिहास का एक क्रूरतम अध्याय रचा था। जलियांवाला बाग में उस दिन ‘रॉलेट एक्ट’ के विरोध में एक शांतिपूर्ण जनसभा हो रही थी, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और आम नागरिक शामिल थे।

शहर में पहले ही कर्फ्यू लगा दिया गया था, लेकिन सूचना के अभाव में हजारों लोग सभा में शामिल हुए। भीड़ की संख्या देखकर जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के अपने 90 सिपाहियों को गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। इस बर्बर गोलीबारी में सैकड़ों निर्दोष लोग शहीद हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

बता दें की, जलियांवाला बाग़ नरसंहार ब्रिटिश राज के दमनकारी शासन का प्रतीक बन गया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जन जागरण की नई लहर लेकर आया। जलियांवाला बाग के वीरों को आज पूरा देश नमन कर रहा है। उनका बलिदान सदैव अमर रहेगा।

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