काठमांडू। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सोमवार को बड़ा झटका लगा है. संसद में विश्वास मत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. सोमवार को हुई वोटिंग में उनके समर्थन में महज 93 वोट ही मिले जबकि उनके खिलाफ 124 लोगों ने मतदान किया. इसके अलावा 15 लोगों ने किसी भी पक्ष में मतदान नहीं किया.पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद उन्हें निचले सदन में बहुमत साबित करना था. कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच नेपाल में सोमवार को इसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया था.
प्रधानमंत्री ओली को 275 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत जीतना था. सोमवार को कुल 232 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया.पुष्पकमल दहल के नेतृत्व में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी. इसके बाद से ही इस हिमालयी देश में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया. दुनियाभर में इस सियासी उठापठक की चर्चा हुई.
यहां तक कि चीन ने इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश भी की.संसद की कार्यवाही शुरू होने से कुछ समय पहले केपी शर्मा ओली ने अपनी पार्टी के लोगों से उनके पक्ष में मतदान करने को कहा था. उन्होंने ट्वीट कर भरोसा जताया था कि वह विश्वास मत में जीत हासिल करेंगे. उन्होंने कहा था कि अगर कोई आंतरिक असहमति या असंतोष है, तो उसे बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है. उन्होंने पार्टी के सदस्यों से यह भी कहा था कि कोई भी फैसला जल्दबाजी में न लें. ओली को फरवरी, 2018 में प्रचंड की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के समर्थन से देश का प्रधानमंत्री चुना गया था।