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Monday, July 1, 2024
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बॉलीवुड के अनकहे किस्से: ऐसी अभिनेत्री जिसकी उम्र हिंदी सिनेमा से भी एक साल बड़ी थी

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उन्हें हिंदी फिल्मों की सबसे क्यूट और चुलबुली दादी कहा जाता था। अमिताभ बच्चन उन्हें सौ साल की बच्ची कहते थे तो देश के प्रख्यात लेखक और निर्देशक ख़्वाजा अहमद अब्बास ने उन्हें भारत की इंसाडोरा डंकन कहा था।

अपने 102 साल के जीवन में उन्होंने 8 दशक तक अपने अभिनय और नृत्य से पूरी दुनिया का दिल बहलाया। अगर बात हिंदी सिनेमा की करें तो उन्होंने सात दशक के अपने कैरियर में फिल्मी दुनिया की चार पीढ़ियों यानी पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणवीर कपूर तक के साथ काम किया।

आज हम बात कर रहे हैं रामपुर के नवाबी खानदान की ज़ोहरा सहगल की जिनका जन्म 27 अप्रैल 1912 को सहारनपुर में हुआ। जब वे एक साल की थी तब उनकी बाईं आंख की रोशनी ग्लूकोमा के कारण चली गई थी। उस समय तीन लाख पाउंड खर्च कर लंदन के अस्पताल में उनका इलाज कराया गया और तब कहीं जाकर उनकी आंख की रोशनी लौटी।

An actress whose age was one year older than Hindi cinema Zohra Sehgal

उनकी मां का देहांत छोटी उम्र में ही हो गया था लेकिन उनकी मां की इच्छा थी कि उनकी बच्चियां लाहौर जाकर पढ़े। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें और उनकी छोटी बहन उजरा को अपने समय के देश के सबसे अभिजात ब्रिटिश महिला स्कूल क्वीन मैरीज कॉलेज, लाहौर में भेजा गया।

लाहौर से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने मामा के साथ तीन महीने की सड़क यात्रा करके जर्मनी के डांस स्कूल विगमैन बैले में डांस सीखने पहुंच गईं। इसी दौरान उन्हें वहां भारत के विख्यात डांसर उदय शंकर और उनके ग्रुप द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका शिव-पार्वती देखने का अवसर मिला।

वे शो खत्म होते ही उदय शंकर से मिली और उनके दल में शामिल होने की इच्छा प्रकट की। अगस्त 1935 में ज़ोहरा सहगल उनके डांस ग्रुप में शामिल होकर तुरंत ही जापान, मिस्र, यूरोप और अमेरिका के टूर पर निकल गईं। दुनिया के इस टूर के बाद भारत वापसी पर उन्होंने उदय शंकर द्वारा ही अल्मोड़ा में स्थापित डांस स्कूल में पढ़ाना भी शुरू कर दिया।

यहीं उनकी मुलाकात इंदौर के रहने वाले कामेश्वर सहगल से हुई जो वैज्ञानिक थे, पेंटिंग और मूर्तियां का शौक था और इंडियन डांस के शौकीन थे। हालांकि वह उनसे 8 साल छोटे थे लेकिन दोनों ने जल्द ही 1942 में शादी कर ली। तब उन्होंने डांस अकादमी छोड़ कर लाहौर में अपना डांस स्कूल खोला जो जल्द ही लोकप्रिय हो गया लेकिन तभी विभाजन के चलते हालात इतने बिगड़ गए थे कि उन्हें मुंबई अपनी बहन उजरा के पास जाना पड़ा जो कि पृथ्वी थिएटर में काम कर रहीं थीं।

ज़ोहरा ने भी 1945 में ₹400 के मासिक वेतन में पृथ्वी थिएटर में काम करना शुरू कर दिया। आगे वे इसके साथ 14 साल तक जुड़ी रहीं और पूरे देश में घूमी। पृथ्वी थिएटर से पहले उन्होंने कुछ समय इप्टा के साथ भी काम किया। उनकी पहली फिल्म धरती के लाल थी जिसका निर्माण भी इप्टा ने किया था और इसके निर्देशक थे ख्वाजा अहमद अब्बास।

इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों में नृत्य निर्देशन का कार्य किया जिनमें प्रमुख थीं – बाज़ी, सीआईडी, नौ दो ग्यारह आदि। आवारा का ड्रीम सिक्वेंस भी उनके द्वारा ही निर्देशित था। इसी वर्ष चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर में भी उन्होंने काम किया, जिसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कृत भी किया गया था।

1959 में अपने पति कामेश्वर के अचानक निधन के बाद वह मुंबई से दिल्ली आ गई और कुछ समय यहां रहने के बाद 1962 में एक बार फिर लंदन चली गईं और फिर 1983 में भारत लौटीं। उन्होंने वर्ष 1976-77 में बीबीसी द्वारा बनाए गए सीरियल पड़ोसी से बहुत नाम कमाया। वर्ष 1984 में सीरियल ज्वैल इन द क्राउन में लेडी चटर्जी का रोल उनके करियर का उत्कर्ष था।

इसके बाद जोहरा ने चैनल फोर के बहुचर्चित सीरियल तंदूरी नाइट्स में काम किया। ज़ोहरा ने अपने कॅरियर में 50 से ज्यादा देशी-विदेशी फिल्मों और टीवी सीरियल में काम किया।

‘भाजी ऑन द बीच’ (1992), ‘हम दिल दे चुके सनम’ (1999), ‘द करटसेन्स ऑफ बॉम्बे’ (1982) ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ (2002), ‘दिल से’ (1998), ‘वीर जारा’ (2004) और ‘चीनी कम’ (2007) जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। नवंबर 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘सांवरिया’ उनकी आखिरी फिल्म थी। 10 जुलाई 2014 को ज़ोहरा सहगल हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन वे हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अभिनेत्री थीं जो अपनी जिंदादिली से कभी बूढ़ी नहीं हुईं।

Google-Doodle-19-sept-2020

चलते चलते

अभिनेत्री और नर्तकी ज़ोहरा सहगल को गूगल ने 29 सितंबर 2020 को अपना डूडल समर्पित किया था। ज़ोहरा सहगल भारत की ऐसी पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली। इस विशेष डूडल में ज़ोहरा सहगल क्लासिकल डांस की मुद्रा में थीं। उनके पीछे फ्लोरल बैकग्राउंड था। जोहरा सहगल के गूगल डूडल को कलाकार पार्वती पिल्लई ने डिजाइन किया था। दरअसल, 29 सितंबर 1946 को जोहरा सहगल की फिल्म नीचा नगर कान्स फिल्म फेस्टिवल में रिलीज हुई थी। नीचा नगर फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल का सबसे बड़ा अवॉर्ड पाल्मे डी’ओ जीता था।

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