भंसाली-आलिया भट्ट के खिलाफ चल रहे मुकदमें पर बांबे हाईकोर्ट की रोक

भंसाली-आलिया भट्ट के खिलाफ चल रहे मुकदमें पर बांबे हाईकोर्ट की रोक

मुंबई। मुंबई के बदनाम इलाके कमाठी पुरा की बाहुबली महिला गंगूबाई पर बनी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को लेकर बांबे हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली व फिल्म में गंगुबाई का किरदार अदा करने वाली अभिनेत्री आलिया भट्ट को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में भंसाली व आलिया के खिलाफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर मानहानी के मुकदमे पर अंतरिम रोक लगाई है। यह मुकदमा खुद को गंगूबाई का गोद लिया पुत्र बताने वाले बाबूजी शाह ने किया है। इसके पहले हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने फिल्म के प्रदर्शन पर यह कहते हुए रोक लगाने से इंकार कर दिया था कि कोई भी मानहानि पूर्ण सामग्री उसके मौत के साथ ही समाप्त हो जाती है।

मेट्रोपोलिटिन मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने मार्च 2021 में फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट, भंसाली और उनकी प्रोडक्शन कंपनी भंसाली प्रोड्क्शन प्राइवेट लिमिटेड को समन जारी किया था। कोर्ट ने यह समन खुद को गंगूबाई का दत्तक पुत्र बताने वाले बाबूजी शाह की शिकायत पर सुनवाई के बाद जारी किया था। शाह की दलील थी फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में फिल्म अभिनेत्री आलिया ने गंगूबाई का किरदार निभाया है। जो 1960 के दशक में मुंबई के रेडलाइट इलाकों में से एक कमाठीपुरा की एक प्रतिष्ठित महिला थी। शाह ने दावा किया है कि यह फिल्म ‘दी माफिया क्वीन ऑफ मुंबई’ उपान्यास से प्रेरित है। इस उपान्यास का कुछ हिस्सा मानिहानिपूर्ण है। जो गंगूबाई काठियावाड़ी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता हैं। इसके साथ ही यह गंगूबाई के निजता के अधिकार का भी हनन करता हैं। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। भट्ट, भंसाली व उनकी प्रोड्क्शन कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि उन्हें शाह के अस्तित्व के बारे में जानकारी नहीं है। इसके बाद न्यायमूर्ति ने शाह को नोटिस जारी किया और निचली अदालत में इस मामले को लेकर भट्ट व भंसाली के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी। न्यायमूर्ति ने अब मामले की सुनवाई सात सितंबर 2021 को रखी है।
कौन थी गंगूबाई
गंगूबाई का जन्म साल 1939  में गुजरात के काठियावाड़ नामक स्थान पर एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था और उनके परिजन वकालत से जुड़े थे। गंगूबाई अपने परिवार में इकलौती बेटी थी। गंगूबाई के परिजन उन्हें पढ़ा-लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे, लेकिन गंगूबाई का पढाई में नहीं लगता था। गंगूबाई फिल्मों में काम करना चाहती थी। वह अभिनेत्री बनाना चाहती थी। गंगूबाई के छोटी उम्र में ही अपने पिता के साथ काम करने वाले अकाउंटेंट रमणीकलाल से प्यार हो गया था। मात्र 16 साल की उम्र में गंगूबाई ने घर से भागकर रमणीकलाल से शादी कर ली। शादी करने के बाद गंगूबाई और रमणीकलाल मुंबई में आकर रहने लगे। थोड़े दिन साथ रहने के बाद रमणीकलाल ने गंगूबाई को एक कोठे वाली को 500 रुपए में बेच दिया। रमणीकलाल ने गंगूबाई से कहा कि मैं तुम्हारे लिए नया घर ढूढने वाला हूं तब तक तुम मेरी मौसी के साथ रहो। गंगूबाई उसकी बातों में आकर उस महिला के साथ चली गई जो कि रमणीकलाल की मौसी नहीं बल्कि एक कोठे वाली थी।

अपने साथ हुए धोखे के कारण गंगूबाई पूरी तरह से टूट चुकी थी। साथ ही उन्हें यह अहसास भी था कि अब उसे उसके परिवार वाले नहीं अपनाएंगे। ऐसे में गंगूबाई ने परिस्थितियों से समझौता कर लिया और कोठेवाली बन गई। उस समय शौकत खान नाम का एक बदमाश हुआ करता था जो मशहूर डॉन करीम लाला के साथ काम करता था। उसने एक दिन गंगूबाई के साथ रात भर जबरदस्ती की, जिस कारण गंगूबाई को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। ठीक होने के बाद गंगूबाई ने जब शौकत के बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि वह करीम लाला के साथ काम करता है। इसके बाद गंगूबाई करीम लाला के पास पहुंची और शौकत की शिकायत की। इस पर करीम लाला ने शौकत को कड़ी सजा दी। इसके बाद गंगूबाई ने करीम लाला को राखी बांध कर अपना मुंह बोला भाई बना लिया। करीम लाला की बहन बनने के बाद गंगूबाई की पूरे इलाके में धाक जम गई। लोग गंगूबाई को डॉन के नाम से जानने लगे। लोग गंगूबाई से खौफ खाने लगे। गंगूबाई मुंबई की सबसे बड़ी महिलाल डॉन में से एक बनीं।

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