राहुल देव बर्मन हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। इन्हें पंचम या ‘पंचमदा’ नाम से भी पुकारा जाता था। अपनी अद्वितीय सांगीतिक प्रतिभा के कारण इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में एक माना जाता है। माना जाता है कि इनकी शैली का आज भी कई संगीतकार अनुकरण करते हैं। कहा जाता है बचपन में जब ये रोते थे तो पंचम सुर की ध्वनि सुनाई देती थी, जिसके चलते इन्हें पंचम कह कर पुकारा गया। कुछ लोगों के मुताबिक अभिनेता अशोक कुमार ने जब पंचम को छोटी उम्र में रोते हुए सुना तो कहा कि ‘ये पंचम में रोता है’ तब से उन्हें पंचम कहा जाने लगा।
आर. डी. बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं। उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 300 फ़िल्मों में संगीत दिया। पंचम दा को माउथआर्गन बजाने का बेहद शौक़ था। छोटी सी उम्र में पंचम दा ने ‘सर जो तेरा चकराये’ की धुन तैयार कर ली जिसे गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ में ले लिया गया था। 1970 में पंचम दा ने देव आनंद की फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ के लिए संगीत दिया जो जबरदस्त हिट रहा।
इसके बाद 1973 में ‘यादों की बारात’, 1974 में ‘आप की कसम’, 1975 में ‘शोले’ और ‘आंधी’, 1978 में ‘कसमें वादे’, 1978 में ‘घर’, 1979 में ‘गोलमाल’, 1980 में ‘खूबसूरत’, 1981 में ‘सनम तेरी कसम’ जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, ‘रॉकी’, ‘मासूम’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों में भी पंचम दा ने अपने संगीत का जलवा बिखेरा। आर. डी. बर्मन हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ की फिल्मों के कालजयी संगीत रचनाकार थे। उन्होंने हिंदी फिल्म संगीत में कई नए प्रयोग कर फिल्म की सफलता को एक नई ऊँचाई तक पहुंचाया था।
वहीं महज 54 साल की उम्र में 4 जनवरी 1994 को कार्डियक अरेस्ट के कारण पंचम दा का निधन हो गया। हालांकि अपने जीवन में ढ़ेरों सर्वश्रेष्ठ गीत देने के बावजूद उनके हिस्से में केवल तीन फिल्मफेयर अवार्ड आए थे। वर्ष 2013 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जरूर जारी किया। देश-विदेश के कई संगीतकारों ने उनको श्रध्दांजलि देते हुए उनके गानों को रिमिक्स कर फिर से संगीत प्रेमियों के समक्ष परोसने का उत्तम प्रयास किया था।
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