कंगना के खिलाफ याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने जावेद अख्तर को यूं फटकारा

कंगना के खिलाफ याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने जावेद अख्तर को यूं फटकारा

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना राणावत के पासपोर्ट रिनुएशन के केस में लेखक-गीतकार जावेद अख्तर की दायर याचिका खारिज करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने जावेद को फटकारते हुए ताकीद किया है कि, ‘तुम्हें इस केस में दखलंदाजी का कोई हक नहीं।
कसाब की समर्थक वकील हैं जावेद की पैरोकार:  इस केस में जावेद की पैरोकार एडवोकेट वृंदा ग्रोवर थीं, जिन्होंने मुंबई पर हुए हमले के जिंदा पकड़े गए एकमात्र अभियुक्त पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की दया याचिका पर दस्तखत किए थे। उनका दावा था कि कंगना ने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए किए आवेदन में कुछ जानकारी गलत व गुमराह करने वाली दी थी। साथ ही, उन्होंने तमन्ना के पासपोर्ट नवीनीकरण में भी घोटाला होने का दावा किया था।
सरकारी काम में दखलंदाजी का कोई हक नहीं : याचिका खारिज कर जावेद को फटकारते हुए न्यायमूर्ति शिंदे और न्यायमूर्ति जमादार ने कहा, यदि हम आपकी स्वीकार लेते हैं,  तो 100 और क्यों नहीं ? 1000 और क्यों नहीं ? पासपोर्ट नवीनीकरण के संबंध में जवाबदेही सरकार की है, आपकी नहीं। लिहाजा, इस प्रकरण में दखलअंदाजी करने का आपका कोई हक नहीं बनता।
अदालत का बहस से रोक,अपनी बात सुनने का परामर्श: अदालत में इतना सब हो चुकने के बावजूद जब एडवोकेट ग्रोवर जावेद अख्तर की पैरवी में बहस करने लगीं, तब न्यायमूर्ति जमादार ने उन्हें टोकते हुए अदालत की बात सुनने का परामर्श दिया। जस्टिस शिंदे ने कहा कि, ‘आपको इस प्रकरण में  बोलने और याचिका  दायर करने का कोई हक नहीं है। अदालत ने अगर ऐसी याचिकाएं स्वीकारनी शुरू कर दीं, तब फिर अदालत में अनावश्यक रूप से काम का बोझ बढ़ेगा और प्रलंबित मामलों के बढ़ने से उनका गहन अध्ययन कर उचित तरीके से निपटारा नहीं किया जा सकेगा। इस केस में पहले से ही रिजवान मर्चेंट जैसे वकील लगे हुए हैं, सो इस पर जो भी कहना है, वह आप उनके मार्फत अदालत में बोल सकते हैं।’
 जावेद ने लांघी शिष्टाचार की सीमा: जावेद अख्तर और कंगना राणावत में राजनीतिक मतभेदों को लेकर कई बार विवाद सामने आ चुके हैं। परंतु, अब तो सामाजिक शिष्टाचार की सभी सीमाएँ लांघते हुए जावेद अख्तर ने सीधे-सीधे कंगना राणावत के पासपोर्ट नवीनीकरण के खिलाफ अदालत में याचिका ही दायर कर दी।
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