नेहा कक्कड़ की देरी से ऑस्ट्रेलिया कॉन्सर्ट में हंगामा, क्या मंच पर रोने मिटेंगी गलतियां?

बचाव में उतरे टोनी कक्कड़ 

नेहा कक्कड़ की देरी से ऑस्ट्रेलिया कॉन्सर्ट में हंगामा, क्या मंच पर रोने मिटेंगी गलतियां?

Neha Kakkar's delay causes commotion in Australia concert, will crying on stage erase the mistakes?

बॉलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ अपने ऑस्ट्रेलिया कॉन्सर्ट में तीन घंटे देर से पहुंचने के कारण विवादों में घिर गई हैं। उनकी इस लापरवाही से गुस्साए दर्शकों ने “गो बैक” के नारे लगाए, जिससे माहौल बिगड़ गया। जब नेहा आखिरकार मंच पर आईं, तो उन्होंने रोते हुए माफी मांगी, लेकिन इससे दर्शकों का गुस्सा कम नहीं हुआ।

मंच पर आते ही नेहा ने कहा, “मुझे खुद से नफरत हो रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने फैंस को इतना इंतजार कराऊंगी।” लेकिन सवाल यह उठता है कि यह स्थिति उनके हाथ से इतनी बाहर कैसे हो गई? क्या समय पर पहुंचने की योजना पहले से नहीं बनाई जा सकती थी।

बचाव में उतरे टोनी कक्कड़ 

घटना के बाद, नेहा के भाई टोनी कक्कड़ ने सोशल मीडिया पर अपनी बहन का बचाव किया। उन्होंने आयोजकों को लापरवाही के लिए दोषी ठहराते हुए लिखा, “कल्पना करें कि मैं आपको अपने शहर में एक इवेंट के लिए बुलाता हूं और सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी लेता हूं। लेकिन जब आप पहुंचते हैं तो कोई होटल बुक नहीं होता, एयरपोर्ट से गाड़ी लेने नहीं आती और टिकट्स भी नहीं दी जातीं। तब आप क्या करेंगे?”

हालांकि, टोनी आयोजकों पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन नेहा ने खुद इस स्थिति को संभालने की कितनी कोशिश की? अगर प्रबंधन में गड़बड़ी थी, तो क्या वह पहले से वैकल्पिक योजना नहीं बना सकती थीं? आखिरकार, यह पहली बार नहीं है जब किसी कलाकार को ऐसे हालात का सामना करना पड़ा हो।

नेहा कक्कड़ भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की कलाकार न हों, लेकिन एक कलाकार के तौर पर उनसे जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है। दर्शकों ने महंगे टिकट खरीदकर शो देखने आए, लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा मिली।

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एक सफल कलाकार होने का मतलब बड़े विवरशिप के रिमेक गाने देना नहीं होता, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होता है कि प्रशंसकों को उनका समय और पैसा व्यर्थ महसूस न हो। मंच पर आकर रो देना कोई समाधान नहीं है।

फैंस अब सवाल उठा रहे हैं कि नेहा जैसी कलाकारों को कब तक गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने की छूट दी जाएगी? क्या एक पब्लिक फिगर को अनुशासन और प्रोफेशनलिज़्म नहीं दिखाना चाहिए? भारतीय कलाकारों के लिए कार्यक्रमों में देर से पहुंचना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह बेहद गैर-पेशेवर रवैया है। फैंस महंगे टिकट खरीदकर समय पर आते हैं, जबकि कलाकार बिना परवाह किए घंटों देर से पहुंचते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह आदत शर्मनाक है और भारतीय मनोरंजन उद्योग की छवि खराब करती है।

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