फिल्म चुप की कहानी क्रिटिक्स और फिल्मकारों से जुड़ी मर्डर मिस्ट्री पर आधारित है। फिल्म में मुंबई का सीन लोगों को आकर्षित करती है। बांद्रा की गलियों में स्टार्स की बनी पेंटिंग्स, महबूब स्टूडियो, गुरुदत्त का प्रसंग इन सभी को फिल्म में बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म में सनी देओल, दुलकर सलमान और श्रेया धनवंतरी मुख्य भूमिकाओं में हैं, जबकि पूजा भट्ट और सरन्या पोनवन्नन सहायक भूमिकाओं में हैं।
ये कहानी है एक सीरियल किलर की जो फिल्म का रिव्यू करने वाले क्रिटिक्स का कत्ल कर रहा है और कत्ल भी काफी बेहरमी है। कहीं शरीर पर इतने जख्म छोड़ देता है तो कहीं शरीर के अलग अलग टुकड़े पूरे स्टेडियम में अलग अलग जगह बिखेर देता है लेकिन वो ऐसा क्यों कर रहा है। क्या इसलिए कि उसकी किसी फिल्म का खराब रिव्यू किया गया है लेकिन वो तो अच्छा रिव्यू करने वालों को भी मार रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है, यही कहानी है और फिल्म की कहानी अच्छी है। सनी देओल पुलिसवाले के किरदार में हैं और उनपर जिम्मा है उस कातिल को पकड़ने का। फिल्म में दुलकर सलमान एक फूल बेचने वाले के किरदार में हैं। श्रेया धनवंतरी एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट बनी हैं। पूजा भट्ट भी एक खास किरदार में हैं। फिल्म को आर बाल्की ने लिखा और डायरेक्ट किया है और बाल्की ने कहानी को अच्छे तरीके से कहा है। फिल्म में गुरुदत्त की फिल्म ‘सीआईडी’ का गाना बजता है, ‘ये है मुंबई मेरी जान’। जो कि लोगों को बहुत पसंद आया हैं।
आर बाल्की का कहानी कहने का एक अलग और अच्छा अंदाज है और यही उनकी खासियत है जो इस फिल्म में भी दिखती है। फिल्म में कत्ल के सीन आपको हिला डालते हैं। उन्हें बहुत बेहरमी से दिखाया गया है। फिल्म की रफ्तार कहीं कम नहीं होती। इस फिल्म का खासियत है कि आप कहीं बोर नहीं होते। दुलकर सलमान ने कमाल की एक्टिंग की है। उनको देखकर लगता है कि ये किरदार उनसे बेहतर कोई नहीं कर सकता है। सनी देओल का काम अच्छा है और अच्छा ये है कि अपनी उम्र के मुताबिक उन्होंने किरदार निभाया। श्रेया धनवंतरी का काम भी कमाल का है। उन्होंने एक जर्नलिस्ट के किरदार को बखूबी से निभाया है। पूजा भट्ट को स्क्रीन पर देखकर अच्छा लगता है। कुल मिलाकर एक्टिंग के मामले में फिल्म अच्छी है। सस्पेंस व थ्रिलर से भरी इस फिल्म को लेकर दावा है कि आप निराश नहीं होंगे।
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