10 सरकारी बैंकों की 2118 शाखाएं बंद, जानें क्या है वजह ?

नई दिल्ली। एक आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2020 -21 में 10 बैंक की कुल 2,118  बैंकिग शाखाएं या तो हमेशा के लिए बंद की गई हैं या दूसरे बैंक की शाखा से जोड़ दी गई है. मिली जानकारी के अनुसार 2020 में विलय या शाखा प्रक्रिया की वजह से बैंक ऑफ बड़ौदा की सबसे ज्यादा 1,283 शाखाएं बंद हो गई है. इस प्रक्रिया से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 332, पंजाब नेशनल बैंक की 169, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 124, केनरा बैंक की 107, इंडियन ओवरसीज बैंक की 53, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 43, इंडियन बैंक की 5 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं पंजाब एंड सिंध बैंक  की एक-एक शाखा बंद हुई हैं. स्पष्ट नहीं है किया गया है कि इन बैंकों की कितनी शाखाएं हमेशा के लिए बंद कर दी गईं और कितनी शाखाओं को दूसरी शाखाओं में मिला दिया गया.

रिजर्व बैंक ने आरटीआई के तहत बताया कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक की कोई भी शाखा बंद नहीं हुई. आरटीआई के तहत दिए जवाब में संबंधित 10 सरकारी बैंकों की शाखाओं के बंद होने या इन्हें अन्य शाखाओं में मिलाए जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है. लेकिन सरकारी बैंकों के महाविलय की योजना के एक अप्रैल 2020 से लागू होने के बाद शाखाओं की संख्या को युक्तिसंगत बनाना इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है.

बता दें कि सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें 4 बड़े बैंकों में तब्दील कर दिया था. इसके बाद अब सरकारी बैंकों की तादाद घटकर 12 रह गई है. महाविलय के तहत एक अप्रैल 2020 से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स  और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया  को पंजाब नेशनल बैंक  में, सिंडिकेट बैंक  को केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिला दिया गया था.
इस संबंध में यह जानकारी नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को रिजर्व बैंक ने उन्हें सूचना के अधिकार के तहत दी है.

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