29 प्रतिशत हिस्सेदारी की खरीदी को लेकर अडानी समूह की मीडिया कंपनी ने पहले ऐलान किया था। कंपनी के इस बयान के बाद बाजार में हलचल सी मच गई। लेकिन क्या इस पूरी डील पर कोई नया पेच फंस रहा है? यह सवाल इसलिए क्योंकि एनडीटीवी के प्रमोटर्स ने कहा था कि उन्हें इस डील की कोई जानकारी नहीं थी। कंपनी की तरफ से दिए गए नए बयान में कहा गया है कि इस पूरे मसले पर अडानी समूह की मीडिया कंपनी को सेबी का अनुमोदन लेना होगा। बता दें, अडानी समूह ने दिए गए कर्ज के बदले 29 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है।
एस एण्ड पी ग्लोबल रेटिंग्स के अधिकारी अभिषेक डांगरा ने बताया कि समूह की ज्यादातर इकाइयों में वृद्धि की महत्वाकांक्षा काफी अधिक है और ऐसा कई इकाइयों के अधिग्रहण के जरिए किया गया। डाँगरा ने कहा कि अडानी पोर्ट्स जैसी कंपनियों को देखें, तो उनका व्यवसाय मौलिक रूप से ठोस है। बंदरगाह व्यवसाय स्वस्थ नकदी प्रवाह दे रहा है। अधिग्रहण काफी हद तक कर्ज द्वारा वित्तपोषित हैं।
कंपनी समूह ने मौजूदा रफ्तार से भी यदि भविष्य में अधिग्रहण जारी रखा, तो उसकी रेटिंग पर दबाव पड़ सकता है। आपको बता दें कि भारत के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी के नेतृत्व वाले कारोबारी समूह ने अधिग्रहण के जरिये तेजी से वृद्धि की है। अडानी समूह के कारोबारी साम्राज्य में खदान, बंदरगाह और बिजली संयंत्रों से लेकर हवाईअड्डे, डेटा केंद्र और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं। हाल ही में समूह ने होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट क्षेत्र में प्रवेश किया। वहीं समूह एक एल्युमीनियम कारखाना स्थापित करने की संभावनाएं भी तलाश रहा है।
यह भी देखें
CM शिंदे का बड़ा ऐलान, बीडीडी चाल में पुलिस को मिलेगा सस्ता घर