भारत की औद्योगिक विकास दर इस वर्ष अगस्त में 4 प्रतिशत दर्ज की गई है। सोमवार (29 सितंबर) को जारी सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से माइनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन की वजह से रही। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर यह लगातार दूसरा महीना है जब ग्रोथ में सुधार दर्ज किया गया। जुलाई में विकास दर चार महीने के उच्चतम स्तर 3.5 प्रतिशत पर थी, जबकि जून में यह 1.5 प्रतिशत रही थी।
माइनिंग सेक्टर ने अगस्त में पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज कराई, जिससे जुलाई में भारी बारिश से आई गिरावट की भरपाई हो गई। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इस सेक्टर में 23 में से 10 उद्योग समूहों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया। इनमें ‘बेसिक मेटल’ ने 12.2 प्रतिशत और ‘मोटर वाहन, ट्रेलर व सेमी-ट्रेलर’ उद्योग ने 9.8 प्रतिशत की डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की।
बिजली उत्पादन में भी सुधार देखा गया। जुलाई में जहां यह वृद्धि मात्र 0.6 प्रतिशत थी, वहीं अगस्त में यह बढ़कर 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। उपयोग आधारित वर्गीकरण के मुताबिक, कैपिटल गुड्स का उत्पादन अगस्त में 4.4 प्रतिशत बढ़ा। यह आंकड़ा देश में हो रहे वास्तविक निवेश को दर्शाता है, जिसका भविष्य में रोजगार और आय सृजन पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और टीवी का उत्पादन अगस्त में 3.5 प्रतिशत बढ़ा, जो आय स्तर बढ़ने के साथ उपभोक्ता मांग में वृद्धि का संकेत देता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर ने भी मजबूत प्रदर्शन करते हुए 10.6 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की। विशेषज्ञों के मुताबिक, हाईवे, रेलवे और बंदरगाह जैसी सरकारी परियोजनाओं की तेज रफ्तार से इस क्षेत्र में डबल डिजिट वृद्धि देखने को मिली। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अगस्त के आंकड़े बताते हैं कि निवेश और मांग दोनों ही मोर्चों पर सुधार हो रहा है, जिससे आने वाले महीनों में रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों को और मजबूती मिल सकती है।
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