सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर पर बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने दोनों को 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया था।
आपको बता दें वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत और दीपक कोचर के साथ बिजनेस करते हैं। चंदा कोचर और उनके पति पर आरोप लगा कि वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर की सह स्वामित्व वाली कंपनी के ज़रिए लोन का एक बड़ा हिस्सा स्थानांतरित किया और लगभग 94.99 फ़ीसदी होल्डिंग वाले बड़े शेयर्स महज 9 लाख रुपये में स्थानांतरित कर दिए गए। हालांकि बैंक ने उस समय इस मामले को निपटने की काफी कोशिश की थी। लेकिन बाद में यह केस सभी के सामने उजागर हो गया।
पहले 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित ऋण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इस मामले की जांच शुरू होने के बाद चंदा को 2018 में अपने पद से हटना पड़ा था। सीबीआई द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन का आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने सितंबर 2020 में दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।
आईसीआईसीआई बैंक ने एक इंडेपेंडेंट जांच करने का फैसला लिया। और 30 मई 2018 को बोर्ड ने व्हिसल ब्लोवर के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद ईडी ने 2020 में चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनकी कंपनियों से जुड़ी 78 करोड़ रुपयों की संपत्ति कुर्क कर ली और केस बढ़ता गया।
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