केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने शनिवार (23 अगस्त)को रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और इसके प्रमोटर-डायरेक्टर अनिल अंबानी से जुड़े कई परिसरों पर छापेमारी की। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से जुड़े कथित ₹2,000 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई की गई है। सूत्रों के अनुसार, मुंबई के कई ठिकानों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया गया।
SBI ने 13 जून को RCom और अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित कर दिया था। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के मास्टर डायरेक्शन ऑन फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट और बैंक की अपनी नीति के तहत इस फैसले को लिया गया। बैंक नोटिस में कहा था कि कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज का इस्तेमाल तय शर्तों के अनुरूप नहीं किया गया और फंड्स को जटिल लेन-देन के जरिए अलग-अलग ग्रुप कंपनियों में घुमाया गया। SBI ने साफ लिखा था कि RCom द्वारा दिए गए जवाब पर्याप्त नहीं हैं और खातों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।
RCom पर फंड-बेस्ड बकाया ₹2,227.64 करोड़ (ब्याज और अन्य खर्चों सहित, 26 अगस्त 2016 तक) है। इसके अलावा ₹786.52 करोड़ का नॉन-फंड-बेस्ड बैंक गारंटी एक्सपोज़र भी है। कुछ हफ्ते पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी से मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूछताछ की थी। मामला उनकी समूह कंपनियों द्वारा लिए गए कई बैंकों के कर्ज से जुड़ा है।
जांच में सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए करीब ₹3,000 करोड़ के कर्ज का दुरुपयोग हुआ। अधिकारियों का कहना है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ा एक और कथित फ्रॉड ₹14,000 करोड़ से अधिक का है।
एजेंसियों का आरोप है कि यस बैंक के प्रमोटर्स ने लोन मंज़ूर करने से ठीक पहले निजी कंपनियों में संदिग्ध भुगतान प्राप्त किए जिसे ‘क्वीड प्रो क्वो’ व्यवस्था माना जा रहा है। RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक, किसी खाते को फ्रॉड घोषित किए जाने के 21 दिन के भीतर बैंक को रिपोर्ट RBI और जांच एजेंसियों को भेजनी होती है। इसी प्रक्रिया के तहत CBI को मामला सौंपा गया और अब छापेमारी के जरिए सबूत जुटाने की कोशिश हो रही है।
यह भी पढ़ें:
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: भारत के डिजिटल भविष्य का निर्णायक अध्याय!
न्यू इंडिया को ऑपरेटिव बैंक घोटाला: पत्नी सहित पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु अपराधी घोषित!
“पाकिस्तान कबीलाई और लुटेरी मानसिकता का शिकार”



