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Thursday, December 25, 2025
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डेरियस खंबाटा ने 11 सितंबर की बैठक पर ‘तख्तापलट’ के आरोपों को किया खारिज

आरोपों को बेतुका बताया, क्योंकि टाटा ट्रस्ट में आंतरिक कलह जारी है

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टाटा ट्रस्ट्स में जारी अंदरूनी खींचतान के बीच वरिष्ठ अधिवक्ता और ट्रस्टी डेरियस जे. खंबाटा ने 11 सितंबर की बैठक को लेकर लगाए गए तख्तापलट के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने इन दावों को “बेतुका” बताया और स्पष्ट किया कि यह बैठक सिर्फ वार्षिक समीक्षा थी, न कि टाटा संस बोर्ड में प्रभाव बढ़ाने की कोई साजिश।

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, 10 नवंबर 2025 को लिखे अपने पत्र में खंबाटा ने कहा कि बैठक का उद्देश्य केवल यह आकलन करना था कि ट्रस्ट्स के नामित निदेशक टाटा संस बोर्ड में किस तरह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह एक नियमित प्रक्रिया थी और इसे किसी गुप्त रणनीति के रूप में पेश करना तथ्यात्मक रूप से गलत है।

खंबाटा ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि वे स्वयं दो बार रतन टाटा के आग्रह को ठुकरा चुके हैं, जब उनसे ट्रस्ट-नामित निदेशक बनने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि बोर्ड की सीट उनके लिए प्रतिष्ठा नहीं बल्कि जिम्मेदारी का विषय है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मीटिंग में जिनके नामों पर चर्चा हुई, उनमें पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह भी शामिल थे, लेकिन उनके प्रति उनके मन में “न कोई विरोध है, न कोई कटुता”। मीटिंग के बाद केवल दो नामित निदेशक—नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन—टाटा संस बोर्ड में बचे।

पत्र में खंबाटा ने एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर भी ध्यान खींचा—शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह के संभावित बाहर निकलने को लेकर उनका और मेहली मिस्त्री का मतभेद। एसपी समूह के पास टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। खंबाटा ने चेतावनी दी कि यदि एसपी समूह बाहर निकलता है, तो टाटा संस को संभवतः अनिवार्य लिस्टिंग की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिससे टाटा ट्रस्ट्स के नियंत्रण ढांचे पर गहरा असर पड़ सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि 11 सितंबर की बैठक के तुरंत बाद उन्होंने सुझाव दिया कि सभी ट्रस्टी मिलकर एक संयुक्त वक्तव्य जारी करें, जिससे यह संदेश जाए कि ट्रस्ट्स नोएल टाटा के नेतृत्व के समर्थन में एकजुट हैं। उन्होंने रतन टाटा की पुण्यतिथि से पहले भी इस पहल को दोहराया, लेकिन कुछ ट्रस्टी ने प्रतिक्रिया नहीं दी—जिस पर उन्होंने निराशा जताई।

खंबाटा ने मेहली मिस्त्री के वर्षों के योगदान की सराहना जरूर की, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि मतभेद अभी भी बने हुए हैं। ऐसे में,  ट्रस्ट्स एकजुट होकर आगे बढ़ें की अपील कितना असर दिखाएगी—यह देखना अभी बाकी है।

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