भारत में टेलीविजन के इतिहास की कहानी दूरदर्शन के इतिहास से ही शुरू होती है। ”दूरदर्शन’ की स्थापना एक परीक्षण के तौर पर दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को हुई थी। प्रसार भारती के सीईओ मयंक अग्रवाल ने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो को देश का सबसे विश्वसनीय मीडिया संस्थान बताया हैं। उन्होंने कहा कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो का लक्ष्य देश के विकास में योगदान करना है। ना कि ज्यादा संख्या में दर्शकों का रेटिंग हासिल करना। प्रसार भारती के सीईओ ने रॉयटर इंस्टीट्यूट से संबंधित एक रिपोर्ट लोगों के बीच साझा किया है। जिसमें दिखाया गया है कि डीडी और एआरआई अपनी निष्पक्षता, काम करने के तरीके और समर्पित कार्यबल के कारण अपनी दर्शकों और श्रोताओं की संख्या बनाए रखने में सफल हैं। सीईओ ने कहा कि हम टीआरपी की रेस में नहीं बल्कि देश को आगे बढ़ाने की रेस में शामिल हैं।
एसोसिएशन ऑफ आकाशवाणी और दूरदर्शन इंजीनियरिंग इम्प्लाईज की और से आयोजित एक कार्यक्रम को मयंक अग्रवाल संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरूगन और संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान भी मौजूद थे। अग्रवाल ने कहा कि हम देश की आवाज हैं। हमारी पहुँच जहां तक है, वहाँ कोई भी नहीं पहुँच सकता। उन्होंने कहा कि हमारी तुलना निजी चैनलों से की जाती है, लेकिन जब बात सच्चाई और प्रमाणिक्ता की होती है, तो हम हमेशा नंबर एक पर रहते हैं।
सीईओ मयंक का कहना हैं कि वह टीआरपी की दौड़ में नहीं बल्कि देश को आगे ले जाने की होड में हैं। उनका मानना है कि दूरदर्शन में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन यह एक बार फिर ऊपर जाएगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे है और जल्द ही इसमें सफलता भी मिलेगी। आज भी दूरदर्शन का नाम सुनते ही अतीत की कई सारी बातें याद आ जाती हैं। भले ही आज टीवी चैनल्स पर कार्यक्रमों की बाढ़ आ गई हो लेकिन दूरदर्शन की पहुंच को टक्कर दे पाना अभी भी किसी के बस की बात नहीं है।
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