बप्पा के आगमन से बाजार में जगी आर्थिक चेतना

बप्पा के आगमन से बाजार में जगी आर्थिक चेतना

मुंबई।  गणेशोत्सव हरेक साल खासकर मुंबई-पुणे-कोंकण सहित समूचे महाराष्ट्र में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। बीते कुछ बरसों के भीतर सार्वजनिक मंडलों के साथ ही घर में गणपति की प्रतिष्ठापना करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस साल अकेले मुंबई में घरेलू गणपति का आंकड़ा 10 लाख पहुंच गया है। कोरोना की पृष्ठभूमि और मौजूदा आर्थिक हालात देखते हुए इस साल छोटी मूर्तियों की मांग बढ़ी है। बप्पा के दर्शनार्थ घर से बाहर निकलने की बजाय भक्तों ने उन्हें घर में लाना ही बेहतर समझा है। नतीजतन, गणेशमूर्तियों के कारोबारियों के रोजगार में इस बार खासा वृद्धि हुई है। हालांकि, बीते साल की अपेक्षा इस वर्ष टीकाकरण और बचाव के उपायों को लेकर नागरिकों में भय कम है।

300 करोड़ का टर्नओवर: कोरोना की पृष्ठभूमि को देखते हुए बाजार में घरेलू मूर्तियों की मांग काफी बढ़कर लगभग तीन गुना हो गई होने से इस महापर्व का कुल टर्नओवर करीब 300 करोड़ रुपए बताया जा रहा है।
जमकर बिकीं छोटी मूर्तियां: बीते कुछ महीनों में कोरोना के कारण देश-दुनिया में आर्थिक लेन-देन ठप हो गया है। कोरोना की वजह से कई उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हरेक  साल घरेलू बप्पा की मूर्ति की ऊंचाई औसतन 1 से 3 फीट रहा करती थी, पर इस साल छोटी मूर्तियों की मांग बढ़ी है, क्योंकि मुंबईवासी सादगी से गणेशोत्सव मना रहे हैं, इसलिए बप्पा की छोटी मूर्तियों में 6, 8 और 9 इंच की गणेश प्रतिमाएं बड़ी संख्या में बिकी हैं।
सुधरा आर्थिक समीकरण: इस वर्ष के हालात के मद्देनजर कइयों ने पहले से ही छोटी मूर्ति प्राप्त कर ली, क्योंकि कई मूर्तिकारों के पास हर साल छोटी मूर्तियां कम होती हैं। अब जब कोरोना के चलते छोटी मूर्तियों की मांग बढ़ी है, तो उनके दाम में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है।  6 इंच की मूर्ति की कीमत 150 रुपये हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 250 रुपये हो गई है। साथ ही, 8 इंच की मूर्ति की कीमत 250 से बढ़कर 350 रुपये तक पहुंच गई है। मूर्ति के मुताबिक इस कारोबार सेक्टर का टर्नओवर करीब 60 करोड़ रुपये है। जैसे-जैसे छोटी मूर्तियों की मांग बढ़ी, वैसे-वैसे कारीगरों की भी मांग बढ़ी, इसलिए आर्थिक समीकरण भी सुधरा है। साज-सज्जा के बाजार में भी इस बार खासा चहल-पहल है।
Exit mobile version