केंद्र सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों को साफ निर्देश दिया है कि GST सुधारों का फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचना चाहिए। सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे इस बदलाव का प्रचार-प्रसार करें और पॉलिसीधारकों को जागरूक करने के लिए सक्रिय अभियान चलाएं।
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सरकारी और निजी क्षेत्र की प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि GST सुधार से बीमा योजनाएं आम आदमी के लिए और अधिक किफायती बनेंगी। साथ ही, इससे वित्तीय सुरक्षा और बीमा कवरेज की पहुंच देशभर में बढ़ेगी। यह बैठक हाल ही में हुई GST परिषद की 56वीं बैठक के बाद आयोजित की गई थी, जिसमें सभी हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों को GST से छूट देने का निर्णय लिया गया। पहले इन पर 18% जीएसटी लागू होता था, लेकिन अब इन्हें शून्य कर श्रेणी में डाल दिया गया है।
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस कदम से न केवल बीमा लेना आसान होगा बल्कि लोगों की जेब पर भी बोझ कम होगा। सचिव ने विशेष रूप से जोर दिया कि कर कटौती का लाभ मौजूदा और संभावित पॉलिसीधारकों दोनों तक पूरी तरह पहुंचना चाहिए।
रेटिंग एजेंसी ICRF की एक रिपोर्ट बताती है कि अब पॉलिसीधारकों को प्रीमियम कम चुकाना होगा। हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर, जो वित्त वर्ष 2025 में उद्योग की ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम इनकम (GDPI) का 16% था, इसमें गिरावट आ सकती है। हालांकि, यदि कंपनियां ग्राहकों को पूरा लाभ देती हैं, तो स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के मुनाफे पर दबाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर शून्य दर लागू होने से अधिक लोग बीमा लेने में सक्षम होंगे। इससे अस्पताल क्षेत्र को भी फायदा होगा क्योंकि अधिक मरीज बीमा कवरेज में आएंगे। दीर्घावधि में, यह फैसला स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ती, सुलभ और समावेशी बनाने की सरकार की दृष्टि के अनुरूप है। अब निगाहें इस बात पर होंगी कि बीमा कंपनियां सरकार के निर्देशों को कितनी गंभीरता से लागू करती हैं और ग्राहकों तक वास्तविक लाभ किस हद तक पहुंचता है।
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