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Wednesday, December 24, 2025
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2030 तक 50 लाख मैट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता का निर्माण होगा लक्ष्य!

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भारत ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन) के तहत वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 50 लाख मीट्रिक टन (5 मिलियन टन) हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस बारे में मंगलवार (16 दिसंबर)को संसद को जानकारी दी गई। सरकार ने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीतिगत समर्थन, प्रोत्साहन योजनाओं और विनिर्माण क्षमता के विस्तार पर विशेष जोर दिया है।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है। यह मिशन भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कटौती और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को गति देने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

मंत्री ने सदन को बताया कि हरित हाइड्रोजन की लागत कम करने के लिए सरकार ने कई प्रोत्साहन योजनाएं लागू की हैं। इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण के लिए शुरू की गई प्रोत्साहन योजना के तहत 15 कंपनियों को प्रति वर्ष कुल 3,000 मेगावाट की निर्माण क्षमता आवंटित की गई है। इसके लिए लगभग 4,440 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन स्वीकृत किए गए हैं। वहीं, हरित हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 18 कंपनियों को कुल 8,62,000 टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता के लिए प्रोत्साहन दिए गए हैं।

इसके अलावा, रिफाइनरी क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दो कंपनियों को 20,000 टन प्रति वर्ष की क्षमता के लिए प्रोत्साहन आवंटित किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे औद्योगिक क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

लागत में कमी लाने के लिए अन्य कदमों के तहत, 31 दिसंबर 2030 तक चालू होने वाली हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को 25 वर्षों के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क से छूट दी गई है। इसके साथ ही, विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 की धारा 26 के तहत नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों की स्थापना और उनके संचालन एवं रखरखाव के लिए शुल्क एवं ड्यूटी में छूट का प्रावधान किया गया है, बशर्ते उनका उपयोग इकाई की कैप्टिव खपत के लिए हो।

अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भी मंत्रालय सक्रिय है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ‘पेरोव्स्काइट टैंडम सोलर सेल्स के स्केल-अप (फेज-I)’ नामक परियोजना का समर्थन कर रहा है, जिसकी कुल लागत 83.19 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का उद्देश्य उन्नत सौर प्रौद्योगिकी को देश में विकसित और स्वदेशी बनाना है।

मंत्री ने यह भी दोहराया कि भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता हासिल करने और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। सरकार के अनुसार, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन अब योजना चरण से आगे बढ़कर क्रियान्वयन के चरण में प्रवेश कर चुका है, जिसमें 17,000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजनाओं के तहत बड़े पैमाने पर परियोजनाएं आवंटित की जा चुकी हैं।

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