भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (Global Capability Centers – GCCs) की संख्या 2030 तक 1,700 से बढ़कर 2,200 से अधिक हो सकती है। यह अनुमान एसबीआई कैपिटल मार्केट्स (SBICAPS) की एक हालिया रिपोर्ट में लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब केवल कम लागत वाले वर्कफोर्स के लिए नहीं, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मुख्य गतिविधियों का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
एसबीआई की निवेश बैंकिंग शाखा एसबीआईकैप्स ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि परिसंपत्तियों की विविधता और निवेश योग्य विकल्पों की उपलब्धता के चलते आने वाले वर्षों में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) के तहत एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में सालाना 25-30% की वृद्धि देखी जा सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, ऑफिस स्पेस के लिए लीजिंग गतिविधियों में 2024 के दौरान भारी तेजी देखने को मिली है। किराए में इजाफा हुआ है और रिक्तियों में गिरावट आई है। बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और पुणे जैसे शहरों में यह रफ्तार 2025 में भी जारी रहने की उम्मीद है।
वैश्विक क्षमता केंद्र इस मांग का प्रमुख स्रोत बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ वर्षों में इन केंद्रों में 1.3 गुना तक विस्तार देखने को मिलेगा।
फ्लेक्स स्पेस सेक्टर में भी जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। 2025 की पहली छमाही में इस क्षेत्र में लीजिंग में साल-दर-साल 43% की बढ़ोतरी हुई है, जो अब तक की सबसे अधिक छह-महीने की लीजिंग है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि रेरा और दिवालियापन संहिता (IBC) जैसे सुधारों के कारण रियल एस्टेट सेक्टर का औपचारिकीकरण अब चरम पर है। इससे फंड जुटाने की प्रवृत्ति को बल मिला है। वर्ष 2025 में प्रमोटरों ने इक्विटी जुटाने के लिए क्यूआईपी (Qualified Institutional Placement) मार्ग का आक्रामक तरीके से इस्तेमाल किया है।
वहीं, अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) भी अब तेजी से भूमि खरीद और निर्माण वित्त जैसे उच्च-जोखिम वाले चरणों में निवेश कर रहे हैं। 2025 में रियल एस्टेट उनके लिए सबसे बड़ा निवेश क्षेत्र बन गया है, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में लगभग दोगुना है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईपीओ, एआईएफ, सॉवरेन वेल्थ फंड जैसे माध्यमों से फंड रेजिंग की प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी, क्योंकि नियामकीय ढांचे स्थिर हो चुके हैं और संस्थागत पूंजी तथा नकद प्रवाह दोनों का समर्थन बढ़ रहा है।
एसबीआईकैप्स ने अंत में कहा कि भारत का कमर्शियल रियल एस्टेट, खासकर ऑफिस स्पेस, एक तेज़ी से उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें निवेशकों के लिए पर्याप्त अवसर हैं। नियामकीय माहौल खुदरा निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा देगा और भविष्य में REIT AUM का दायरा और विस्तारित होगा।
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