भारत ने अगस्त महीने में रूस से कच्चे तेल की खरीद को बढ़ाकर 20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) कर दिया है। यह जुलाई के 16 लाख बैरल प्रतिदिन की तुलना में अधिक है। इससे इराक से खरीद घटकर 7.3 लाख bpd और सऊदी अरब से घटकर 5.26 लाख bpd रह गई। अमेरिका इस दौरान 2.64 लाख bpd के साथ पांचवां सबसे तेल आपूर्तिकर्ता बना रहा।
ग्लोबल डेटा फर्म केप्लर के मुताबिक अगस्त में भारत के कुल 5.2 मिलियन bpd आयात का 38% हिस्सा रूस से आया। केप्लर के विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा जुलाई अंत में लगाए गए टैरिफ के बावजूद रूस से आयात स्थिर रहा क्योंकि अगस्त के कार्गो जून और जुलाई की शुरुआत में ही तय हो चुके थे। उन्होंने साफ किया कि किसी सरकारी आदेश से रूस से आयात रोकने या घटाने की बात नहीं हुई है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने भी कहा कि सरकार ने रूस से तेल खरीद को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया है। अप्रैल-जून तिमाही में IOC की प्रोसेसिंग में रूस का हिस्सा 22% था और आगे भी यही बने रहने की संभावना है। वहीं BPCL के निदेशक (वित्त) वी.आर. गुप्ता ने बताया कि जून तिमाही में रूस से आयात 34% था, जो घटा क्योंकि डिस्काउंट घटकर 1.5 डॉलर प्रति बैरल रह गया था। अगस्त में यह फिर बढ़कर 2 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने तेजी से पश्चिमी बाजार से महंगा तेल छोड़कर रूस से सस्ता तेल लेना शुरू किया। युद्ध से पहले भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी मात्र 0.2% थी, जो अब 35-40% तक पहुंच चुकी है। हालांकि रियायतें पहले 40 डॉलर प्रति बैरल तक थीं, जो अब काफी कम हो गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिफाइनर अब ऊर्जा सुरक्षा और लॉजिस्टिक जोखिमों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से भी खरीद बढ़ाने की सोच रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रूस से खरीद कम हो रही है। वर्तमान हालात में रूस भारत की कच्चे तेल की टोकरी का अहम हिस्सा बना रहेगा और जब तक कोई नई पाबंदी नहीं लगती, खरीद सामान्य तरीके से जारी रहेगी।
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