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भारतीय शेयर बाजार में गिरावट, अमेरिकी टेरिफ के दबाव को कैसे झेल रहा है मार्केट ?

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भारतीय शेयर बाजार नए वित्त वर्ष 2025-26 के पहले कारोबारी सत्र में मंगलवार को गिरावट के साथ खुला। बाजार में चौतरफा दबाव देखा जा रहा है, और इसका मुख्य कारण 2 अप्रैल से अमेरिका द्वारा ट्रेडिंग पार्टनर देशों पर लगाए जाने वाले जवाबी टैरिफ को माना जा रहा है। सुबह 9:21 बजे सेंसेक्स 326 अंक (0.42%) की गिरावट के साथ 77,088 और निफ्टी 64 अंक (0.28%) की गिरावट के साथ 23,454 पर था।

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ की घोषणा ने बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। इसके साथ ही आईटी सेक्टर में बिकवाली का दबाव देखा जा रहा है, जिसके कारण निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1.37% की गिरावट आई।

मौजूदा समय में, फाइनेंशियल, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स भी लाल निशान में हैं, जबकि ऑटो, पीएसयू बैंक और एनर्जी सेक्टर में हल्की बढ़त देखी जा रही है। लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स भी दबाव में हैं, और निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 57 अंक (0.11%) गिरकर 51,615 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 82 अंक (0.51%) गिरकर 16,013 पर पहुंच गया।

गिरावट के बावजूद, बाजार में चढ़ने वाले शेयरों की संख्या अधिक रही, और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 843 शेयर हरे निशान में और 323 शेयर लाल निशान में थे।

सेंसेक्स के टॉप गेनर्स में इंडसइंड बैंक, एमएंडएम, भारती एयरटेल, पावर ग्रिड, एनटीपीसी और टाटा मोटर्स जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। वहीं, इन्फोसिस, टीसीएस, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, बजाज फिनसर्व, सन फार्मा और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे शेयरों में गिरावट आई।

विश्लेषकों के मुताबिक, नकारात्मक शुरुआत के बाद निफ्टी के लिए 23,300, 23,200 और 23,100 महत्वपूर्ण सपोर्ट स्तर हो सकते हैं। जबकि तेजी की स्थिति में 23,550 रुकावट का स्तर हो सकता है।

वैश्विक स्तर पर, एशिया के अधिकांश बाजार हरे निशान में रहे, जिनमें शंघाई, टोक्यो, सोल, बैंकॉक और हांगकांग शामिल हैं। अमेरिकी बाजार ने भी सोमवार को सात महीनों के निचले स्तर से रिकवर होकर एक प्रतिशत की बढ़त दर्ज की थी।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को लगातार छह सत्रों तक खरीदारी करने के बाद 4,352 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 7,646 करोड़ रुपये का निवेश किया।

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