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Wednesday, April 2, 2025
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एनएसई ने निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज में किया बदलाव

एनएसई ने निफ्टी, बैंक निफ्टी समेत सभी इंडेक्सों की एक्सपायरी महीने के आखिरी सोमवार को करने का निर्णय लिया था। हालांकि, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश के बाद इस सर्कुलर पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी गई है।

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज में बदलाव किया है। यह संशोधन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया है और एक्सचेंज के फ्यूचर्स और ऑप्शंस (एफएंडओ) डिपार्टमेंट द्वारा जारी एक सर्कुलर के माध्यम से घोषित किया गया।

लॉट साइज में किया गया बदलाव

नए सर्कुलर के अनुसार: निफ्टी बैंक के मौजूदा लॉट साइज को 30 से बढ़ाकर 35 कर दिया गया है।
निफ्टी मिड सिलेक्ट के एफएंडओ लॉट साइज को 120 से बढ़ाकर 140 किया गया है।
अन्य किसी इंडेक्स के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

इसके अलावा, निफ्टी 50, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज और निफ्टी नेक्स्ट 50 के लॉट साइज को क्रमशः 75, 65 और 25 पर बरकरार रखा गया है।

नए बदलाव कब से लागू होंगे?: निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट इंडेक्स के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स में यह बदलाव मौजूदा मंथली एक्सपायरी 24 अप्रैल 2025, 29 मई 2025 और 26 जून 2025 के लिए लागू नहीं होगा। बल्कि, यह 31 जुलाई 2025 की मंथली एक्सपायरी से प्रभावी होगा।

सेबी के आदेश के बाद एक्सपायरी शेड्यूल पर रोक: इससे पहले, एनएसई ने निफ्टी, बैंक निफ्टी समेत सभी इंडेक्सों की एक्सपायरी महीने के आखिरी सोमवार को करने का निर्णय लिया था। हालांकि, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश के बाद इस सर्कुलर पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी गई है।

सेबी ने अपने आदेश में कहा, “सभी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी मंगलवार और गुरुवार में से किसी एक दिन हो सकती है।” सेबी का यह आदेश ऐसे समय पर आया है जब एक्सचेंज, डेरिवेटिव्स सेगमेंट में अधिक मार्केट शेयर हासिल करने के लिए एक्सपायरी शेड्यूल में बदलाव कर रहे थे।

एनएसई के इस संशोधन का उद्देश्य डेरिवेटिव्स मार्केट में तरलता (लिक्विडिटी) बनाए रखना और निवेशकों के लिए ट्रेडिंग में सुगमता लाना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नया लॉट साइज बाजार सहभागियों पर किस तरह प्रभाव डालता है और आगे सेबी इस संबंध में और क्या दिशानिर्देश जारी करता है।

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