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Sunday, December 14, 2025
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आरबीआई ने रेपो रेट में की 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती

मौद्रिक नीति रुख 'न्यूट्रल' किया

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (6 जून)को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है। अब रेपो रेट 6 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत हो गई है। यह फैसला अर्थव्यवस्था में मांग और निवेश को गति देने के उद्देश्य से लिया गया है। साथ ही, आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ घोषित किया है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की गई है। यह कटौती 25-25 आधार अंकों की चार किस्तों में क्रमशः 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से लागू होगी। इससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता आने की संभावना है।

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, ‘रेपो रेट में यह कटौती फरवरी से अब तक कुल 100 आधार अंकों की हो चुकी है, इसलिए अब हमने नीतिगत रुख को ‘न्यूट्रल’ किया है जिससे हम विकास और मुद्रास्फीति पर बेहतर नजर रख सकें।’

आरबीआई के मुताबिक, देश में मुद्रास्फीति दर अब घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है, जो पहले 4 प्रतिशत थी। इस लिहाज से रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को भी संशोधित कर 3.7 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और खाद्य वस्तुओं की स्थिर आपूर्ति से कीमतों में और नरमी की उम्मीद जताई गई है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए GDP विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। विभिन्न तिमाहियों में यह क्रमशः 6.5%, 6.7%, 6.6% और 6.3% रहने का अनुमान है। गवर्नर ने कहा, ‘भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। कॉरपोरेट्स, बैंक और सरकार की बैलेंस शीट मजबूत है, बाहरी क्षेत्र भी स्थिर है। भारत निवेशकों के लिए घरेलू और वैश्विक स्तर पर एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।’

आरबीआई ने यह भी बताया कि रबी फसलों की अनिश्चितता अब काफी हद तक कम हो चुकी है और इस साल गेहूं एवं दालों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके चलते खाद्य मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण की संभावना है।

इस निर्णय से बैंक ऋण सस्ते होंगे, जिससे उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए कर्ज लेना आसान होगा। इससे खपत और निवेश बढ़ने की उम्मीद है, जो देश की आर्थिक वृद्धि को बल देगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक इस लाभ को ग्राहकों तक कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से पहुंचाते हैं।

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