शुक्रवार सुबह आरबीआई के गवर्नर श्री संजय सिंह ने मॉनेटरी पॉलिसी के तहत पॉलिसी रेट को 25 बेसिस अंको से कम करने की घोषणा की। अब पॉलिसी रेट की दरें हैं 6.25 बीपीएस। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि व्यापार और ग्लोबल आउटरीच के बावजूद भी इस साल भी औसत से काम ही रही है इसलिए विश्व की आर्थिक संरचना को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
अमेरिका का उदहारण देते हुए श्री संजय सिंह जी ने कहा कि दरों के कम होने से अमेरिका ने भी आर्थिक तरक्की की थी और डॉलर को मज़बूत किया था। भारत भी इसी आशा से परिपूर्ण होकर आवश्यक आर्थिक निर्णय ले रहा है। पिछले कुछ महीनो में रूपए की कीमत लगातार घटती ही जा रही है जिससे सीधे तौर पर भारतीय उपभोगताओं पर असर पड़ रहा है।
इस निर्णय से कई क्षेत्रों में मुनाफे और तरक्की की उम्मीद की जा रही है। बैंकिंग क्षेत्र को प्रेरित करते हुए गवर्नर ने प्रस्तावित किया है कि केंद्रीय बैंक में राशि जमा करने से बेहतर बैंक आपस में निवेश करे और एक दूसरे के आर्थिक सहायक बने।
लिक्विडिटी सुधरने से बैंकिंग और फाइनेंस क्षेत्रों को काफी फायदा होगा जिससे निवेश को बढ़त मिलेगी। जहां छोटे बैंकों में लोन और इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है वहीं बड़े बैंकों की यह कोशिश रहेगी कि वे अपनी बैलेंस शीट्स को सुधार सकें। कम इंटरेस्ट रेट होने का फायदा ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा जिससे द्विपाहिया वाहन और बजट फ्रेंडली गाड़ियों की खरीदारी भी बढ़ेगी। बजट फ्रेंडली रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज़ में भी बढ़त देखने को मिलेगी क्यूंकि लोन और इंटरेस्ट की दरें ग्राहकों के लिए अनुकूल साबित होंगी।
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फिनेंशियल फ्रॉड से बचने एवं बैंकिंग को सशक्त करने के लिए आरबीआई की ओर से बैंकिंग डोमेन लांच किया गया है।इससे बैंक के सभी संचार, और बैंकिंग एवं फाइनेंस से जुड़े सभी ऑनलाइन काम उस डोमेन से ही किये जायेंगे। स्टॉक मार्किट पर भी इस निर्णय का असर देखने को मिला। निफ़्टी मार्किट खुलते ही बढ़त दिखा रहा था लेकिन बंद होते होते करीब 23,000 अंको से नीचे रहा। सेंसेक्स भी करीब 550 अंक गिरा लेकिन रूपए पुरे हफ्ते में शुक्रवार को थोड़ा मज़बूत हुआ।