एक दयालु व्यक्ति जिसने मेरे करियर को नई ऊंचाई देने में हमेशा सहयोग किया!     

सुब्रत रॉय द्वारा खड़ा किये गए बिजनेस एम्पायर में भारत माता और भारतीय तिरंगे को देखा जा सकता है। मै यह मानता हूं कि वे एक सच्चे देशभक्त थे।  

एक दयालु व्यक्ति जिसने मेरे करियर को नई ऊंचाई देने में हमेशा सहयोग किया!     

प्रशांत कारुलकर

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को निधन हो गया। उनके निधन पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। मै दृढ़ता के साथ कह सकता हूं उनके निधन से उद्योग जगत को बड़ा नुकसान हुआ है। निजी तौर पर मै दुखी हूं। दुनिया उन्हें जिस तरह से देखती है, उससे वे बहुत अलग थे। वह एक उत्साही राष्ट्रवादी थे, वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने लोगों को जोड़ा और बिना किसी पृष्टभूमि के अपनी अलग दुनिया बनायी। मै कुछ साल पहले उनके संपर्क में आया था, तब से एक रिश्ता बन गया था, मै उस समय बिजनेस इंडस्ट्री में नया था। सहाराश्री ने मुझे सहारा दिया, जिससे हम करीब आ गए।

जब आप सुब्रत रॉय के जीवन को देखेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने शून्य से शिखर तक पहुंचे। उन्होंने सहारा औद्योगिक समूह को बहुत संघर्ष करके के खड़ा किया। जो निश्चित रूप से मेरे लिए प्रेरणादायी है। मैने भी शून्य से शुरुआत की है। सुब्रत रॉय के संघर्षपूर्ण जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। मैंने जब भी उनसे बातचीत की, उनसे केवल सकारात्मक बातें ही सीखी। 7 साल पहले मैंने वसई में उनकी लगभग 200 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस जमीन पर कई बड़े बिल्डरों की नजर थी, लेकिन सहाराश्री ने मुझ पर विश्वास जताया, इसलिए मै यह डील कर पाया। उन्होंने मुझे एक बड़ी छलांग लगाने का मौक़ा दिया।

सफलता के शिखर पर पहुंचते-पहुंचते वे कई विवादों और आरोपों से घिर गए थे। उन पर निवेशकों का पैसा हड़पने का भी आरोप लगा। इस मामले में उनसे पूछताछ हुई और जेल भी गए। लेकिन जब हम यह सोचते हैं कि गरीबी से निकलकर एक प्रसिद्ध औद्योगिक समूह खड़ा करने वाले व्यक्ति पर ये आरोप क्यों लगे? तो हमें संदेह होता है कि इसके पीछे कुछ राजनीति कारण तो नहीं थे। उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को पीएम बनाये जाने का विरोध किया था। वह इस बात पर अडिग थे कि प्रधानमंत्री का पद किसी विदेशी मूल के व्यक्ति को नहीं सौंपा जाना चाहिए। क्या यह विरोध उनके खिलाफ गया ? क्या विरोधी भूमिका उनके औद्योगिक साम्राज्य को खत्म करने का बहाना था ? सुब्रत रॉय ने इस संकट का बड़ी दृढ़ता के साथ सामना किया। उन्होंने भारतीय कानून से बचने के लिए विदेश नहीं गए।

निवेशकों के पैसों को वापस लौटाने के लिए उनकी कुछ संपत्तियों को बेचने की सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दी थी। इसमें से कुछ संपत्तियों को बेचने में मैंने मदद की, क्योंकि उनके परिवार से मेरे अच्छे संबंध थे। जब उनकी माता का निधन हुआ था तब मै उनसे मिलने लखनऊ की सहारा सिटी गया था। उनका व्यवहार हमेशा एक परिवार के सदस्य जैसा था। उन्होंने एक पिता की तरह मेरा हमेशा मार्गदर्शन किया।

भारत के प्रति उनका दृष्टिकोण उनके कार्यो में झलकता था। उनके द्वारा खड़ा किये गए बिजनेस एम्पायर में भारत माता की छवि और भारतीय तिरंगे को देखा जा सकता है। मै यह मानता हूं कि वे एक सच्चे देशभक्त थे। भले आज वह जीवित नहीं है,लेकिन मेरे करियर को नई ऊंचाई देने में हमेशा मेरा सहयोग और समर्थन किया। उनके इस योगदान को मै कभी नहीं भूल सकता। हमने एक दयालु व्यक्ति और एक अभिभावक को खो दिया। उन्हें श्रद्धांजलि, ईश्वर उनके पूरे परिवार को इस घटना से उबरने की शक्ति दे।

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