महाराष्ट्र : शरद पवार की प्रतिक्रिया; “नीलम गोरे का बयान बेवकूफी भरा है, इससे ज्यादा…”!

नीलम गोरे ने बयान दिया था कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना में अगर आप दो मर्सिडीज देते हैं तो आपको एक पद मिलता है। अब शरद पवार ने इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया दी है|

महाराष्ट्र : शरद पवार की प्रतिक्रिया; “नीलम गोरे का बयान बेवकूफी भरा है, इससे ज्यादा…”!

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नीलम गोरे ने साहित्य सम्मेलन में एक इंटरव्यू के दौरान एक टिप्पणी की, उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को दो मर्सिडीजें दी गईं, तो उन्हें एक पद मिलेगा। इस पर अच्छी बहस हुई|यहां तक कि उद्धव ठाकरे ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनसे पूछें कि उन्होंने कितनी मर्सिडीज दीं|अब इन सभी मामलों पर पूर्व कृषि मंत्री और साहित्य सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष शरद पवार ने प्रतिक्रिया दी है|शरद पवार ने कहा है कि नीलम गोरे को यह बयान देने की कोई जरूरत नहीं थी|

नीलम गोरे ने क्या टिप्पणी की?: “किसी भी कार्यकर्ता को कम आंकने का कोई कारण नहीं है। 2012 तक मैंने देखा है कि शिवाजी पार्क में होने वाली बैठकों और सभाओं में एकनाथ शिंदे के कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ती थी| दूसरा हिस्सा यह है कि अगर नेता संपर्क नहीं चाहते तो हमारे वहां रहने का कोई मतलब नहीं है।

अगर आप ठाकरे की शिवसेना में दो मर्सिडीज कारें देते हैं, तो आपको एक पद मिलता है। जब तक बाला साहेब ठाकरे थे, उन्हें हर जगह तवज्जो मिलती थी| नीलम गोरे ने कहा था कि बाद में गिरावट आई। इस संबंध में शरद पवार ने विस्तृत प्रतिक्रिया दी है| साहित्य सम्मेलन में नीलम गोरे की टिप्पणी अनावश्यक थी। नीलम गोरे चार बार विधायक बन चुकी हैं| पूरा महाराष्ट्र जानता है कि उन्हें ये चार कार्यकाल कैसे मिले।

मुझे लगता है कि उन्हें किसी कार का जिक्र नहीं करना चाहिए था|’ नीलम गोरे को ऐसा नहीं कहना चाहिए था| नीलम गोरे भी एनसीपी में थीं| इसके बाद वह शिवसेना में रहीं और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में काम करती रहीं| इसके बाद अब वह एकनाथ शिंदे की पार्टी शिव सेना में काम कर रहे हैं|

उन्होंने सीमित समय में उनमें से लगभग चार पार्टियों का अनुभव किया है। यह उचित होता यदि वह अपने अनुभव को याद करने के लिए टिप्पणी न करते। इस बारे में संजय राउत का रुख सही है| बैठक के आयोजकों ने भी अस्वीकृति व्यक्त की है। अब उन सब पर पर्दा डालना कोई समस्या नहीं है|

जो साहित्य सम्मलेन के पदाधिकारी हैं उन्होंने माफ़ी मांगी| तो मैंने कहा कि पर्दा गिराओ| अगर संजय राऊत मुझ पर भी जिम्मेदारी डालना चाहते हैं तो मुझे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि मैं बैठक का स्वागत अध्यक्ष था| मुझे संजय राऊत से कोई शिकायत नहीं है|’ नीलम गोरे का बयान बेवकूफी भरा था| इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा| ये बात शरद पवार भी कह चुके हैं|

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