पाकिस्तान में वर्ष 2024 के दौरान दर्ज अपराध के आधिकारिक आंकड़े देश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा की भयावह तस्वीर पेश करते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि देश की राजधानी इस्लामाबाद में सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) के मामले कई प्रांतों से अधिक दर्ज किए गए।
पाकिस्तान की प्रतिष्ठित मीडिया संस्था न्यूज़ इंटरनेशनल के अनुसार, 2024 में देशभर में गैंगरेप के कुल 2,142 मामले दर्ज हुए। इनमें से पंजाब प्रांत में सर्वाधिक 2,046 मामले दर्ज किए गए, जो खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान के कुल आंकड़ों से भी अधिक हैं।
गैंगरेप और व्यभिचार के मामले:
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में गैंगरेप के 22 और व्यभिचार के 125 मामले दर्ज हुए, जो इस छोटे भू-भाग वाले क्षेत्र के लिए गंभीर संकेत हैं। बलूचिस्तान में गैंगरेप का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ, जबकि व्यभिचार के 43 मामले सामने आए। केपी में गैंगरेप का सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ, लेकिन व्यभिचार के 402 केस रिपोर्ट किए गए।
अपहरण के मामले भी 34 हजार पार
2024 में अपहरण के कुल 34,688 मामले पूरे पाकिस्तान में दर्ज किए गए। अकेले पंजाब में 28,702 मामले, सिंध में 4,331, केपी में 533, बलूचिस्तान में 406, इस्लामाबाद में 238 और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 370 अपहरण के केस दर्ज किए गए।
हत्या के 11 हज़ार से ज़्यादा मामले
देशभर में हत्या के 11,074 से अधिक मामले रिपोर्ट हुए, जिनमें से बड़ी संख्या पंजाब से रही। यह स्पष्ट करता है कि पंजाब अपराध के लिहाज़ से सबसे अधिक संवेदनशील प्रांत बन चुका है।
दंगों की घटनाओं में भी बढ़ोतरी
2024 में देश भर में 4,533 दंगों के मामले सामने आए। सिंध सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 3,472 दंगों की घटनाएं दर्ज की गईं। बलूचिस्तान में 292, केपी में 12 और पीओके में 557 दंगे दर्ज हुए। हालांकि इस्लामाबाद में कोई भी दंगा दर्ज नहीं हुआ, जबकि पंजाब में केवल 2 मामले सामने आए।
रिपोर्ट में पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। विशेष रूप से इस्लामाबाद जैसे छोटे लेकिन सशक्त शासकीय क्षेत्र में गैंगरेप जैसी घटनाओं का अन्य प्रांतों से ज़्यादा दर्ज होने से कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक ढांचे की असफलता को उजागर किया है।
यह आंकड़े पाकिस्तान में महिलाओं और आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं को जन्म दे रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है।
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