टाटा ग्रुप देश की नामी बोलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी का अधिग्रहण करने जा रही है। टाटा ग्रुप अपने सहयोगी कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के साथ मिलकर बिसलेरी इंटरनेशनल को 6,000-7,000 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करेगी। इस डील के तहत बिसलेरी का मौजूदा प्रबंधन दो साल तक कंपनी के कामकाज को देखेगा। हाल ही में उद्योगपति रमेश चौहान ने कहा कि वह अपने बोतलबंद पानी के कारोबार ‘बिसलेरी इंटरनेशनल’ के लिए खरीदार की तलाश में हैं और इस बारे में उनकी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड समेत कई कंपनियों से बात चल रही है।
बोतलबंद पानी के कारोबार में कंपनी की 60 फीसदी हिस्सेदारी है। मौजूदा समय में बिसलेरी के 122 से अधिक चालू प्लांट हैं। साथ ही डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भारत में 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है। बता दें कि देश में बोतलबंद पानी का बाजार 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। वहीं डील होने पर टाटा ग्रुप को एंट्री-लेवल, मिड-सेगमेंट और प्रीमियम पैकेज्ड वॉटर कैटेगरी में हो जाएगी। इसस टाटा कंज्यूमर को बहुत बड़ा मार्केट आसानी से मिल जाएगा।
बता दें कि टाटा ग्रुप पहले से ही स्टारबक्स कैफै का संचालन करती है। इसके अलावे कंपनी के पास टेटली चाय, आठ बजे कॉफी, सोलफल अनाज, नमक, दालों से जुड़े ब्रांड हैं। वहीं बोतल बंद पानी के व्यवसाय में भी न्यूरिशको ब्रांड के तहत टाटा ग्रुप का दखल है। अब ग्रुप बिसलेरी का अधिग्रहण कर बोतलबंद पानी के अपने कारोबार को नया विस्तार देना चाहती है।
आज बोतलबंद पानी बेचने वाली बिसलेरी कंपनी की शुरुआत एक दवा कंपनी के तौर पर हुई थी जो मलेरिया की दवा बेचती थी। इसके संस्थापक इटली के बिजनेसमैन फेलिस बिसलेरी थे। उनकी मौत के बाद उनके फैमिली डॉक्टर रॉसी ने बिसलेरी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाई। भारत में डॉक्टर रॉसी ने वकील खुशरू संतकू के साथ मिलकर बिसलेरी लॉन्च की। 1969 में बिसलेरी वाटर प्लांट शुरू होने के ठीक 4 साल बाद रमेश चौहान ने बिसलेरी को महज 4 लाख रुपए में खरीद लिया। तब से इस कंपनी का मालिकाना हक रमेश चौहान के पास है।
ये भी देखें